US Saudi Defence Pact: इजरायल को अब तक मान्यता नहीं देने वाला सऊदी अरब अपनी नीतियों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। सऊदी अरब अमेरिका के साथ नाटो जैसी रक्षा डील के लिए प्रतिबद्ध है और इसके बदले में वह पहली बार इजरायल के साथ संबंधों की शुरुआत करने जा रहा है। अमेरिका सऊदी अरब को नाटो की तरह से सुरक्षा की गारंटी देगा। बताया जा रहा है कि सऊदी अरब अब अमेरिका के साथ यह रक्षा डील फिर भी करेगा, अगर इजरायल फलस्तीन को अलग देश बनाने के लिए बहुत रियायत नहीं देता है। सऊदी अरब के रुख में यह बदलाव अमेरिका और उसके सबसे करीबी सहयोगी इजरायल के लिए जहां बड़ी जीत है, मुस्लिम दोस्त फलस्तीन के लिए बड़ा झटका है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने तीन क्षेत्रीय सूत्रों के हवाले से सऊदी अरब के इस रुख के बारे में जानकारी दी है। हालांकि यह रक्षा समझौता नाटो की तरह से सुरक्षा की गारंटी देने वाले डील से कुछ कम हो सकता है जिसकी मांग सऊदी अरब ने साल 2022 में बाइडन और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच मुलाकात के बाद मांगी थी। इसकी बजाय अमेरिकी सूत्रों ने कहा कि यह कुछ उसी तरह की हो सकती है जैसा अमेरिका ने एशियाई देशों के साथ किया है। वहीं अगर इस डील को अमेरिकी संसद की मंजूरी नहीं मिलती है तो यह बहरीन की तरह से हो सकता जिसमें संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होती है।
ईरानी हमले के खिलाफ गारंटी चाहता है सऊदी ?
अमेरिका ने बहरीन में अपनी नौसेना का पांचवां बेड़ा तैनात कर रखा है। अमेरिकी सूत्र ने कहा कि अमेरिका सऊदी अरब को गैर नाटो सहयोगी देश का दर्जा देकर इस तरह की डील आराम से कर सकता है। अमेरिका ने इजरायल को पहले ही यह दर्जा दिया हुआ है। वहीं सभी सूत्रों का कहना है कि सऊदी अरब तब तक कोई समझौता नहीं करेगा जब तक कि अमेरिका यह गारंटी नहीं दे देता है कि अगर रियाद पर हमला होता है तो अमेरिका उसे सुरक्षा देगा। इसमें 14 सितंबर, 2019 को तेल रिफाइनरी पर हुए मिसाइल अटैक जैसा हमला भी शामिल है।
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सऊदी अरब का आरोप है कि ईरान ने इस हमले को अंजाम दिया था जो उसका धुर विरोधी है। वहीं ईरान ने हमले में किसी भी तरह की भूमिका का खंडन किया था। इस समझौते के तहत जहां दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश को अमेरिकी सुरक्षा मिलेगी वहीं बदले में सऊदी अरब को इजरायल के साथ अपने रिश्ते सामान्य करना होगा। अगर ऐसा होता है तो पूरे पश्चिमी एशिया में राजनीति की दशा और दिशा बदल जाएगी। इससे एक बार फिर से सऊदी अरब अमेरिका के खेमे में जहां चला जाएगा, वहीं चीन को बड़ा झटका लगेगा जिसने बहुत तेजी से पश्चिम एशिया में अपनी पकड़ को मजबूत किया है।
सऊदी-इजरायल की दोस्ती से बाइडन की होगी चांदी
चीन ने ही सऊदी अरब और ईरान के बीच संबंध सामान्य कराया है जो कई साल से तनावपूर्ण चल रहा था। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए यह राष्ट्रपति चुनाव से पहले बहुत बड़ी जीत होगी। सऊदी अरब और इजरायल दो दुश्मनों की दोस्ती से बाइडन अपना नाम इतिहास में दर्ज करा सकेंगे। हालांकि इससे फलस्तीनी भड़क सकते हैं लेकिन इजरायल (Israel) उन्हें प्रतिबंधों में कुछ ढील दे सकता है। लेकिन इजरायल अलग फलस्तीन देश की मान्यता देगा, इसकी संभावना न के बराबर है। एक सूत्र ने कहा कि अगर फलस्तीन इस डील का विरोध करता है तो भी सऊदी अरब समझौते की दिशा में आगे बढ़ेगा।
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