US with India Against China: अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन ने भारत को मजबूत बनाने का ऐलान किया है। अमेरिका ये कदम चीन के खिलाफ (US with India Against China) है जो लद्दाख से लेकर दक्षिण चीन सागर तक आंखें दिखा रहा है। चीन के खिलाफ कमर कसते हुए अमेरिका ने भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को और ज्यादा मजबूत करने का ऐलान किया है ताकि नई दिल्ली चीनी सेना की आक्रामकता (US with India Against China) को करारा जवाब दे सके। अमेरिका ने ये फैसाल ऐसे समय में लिया है जब शी जिनपिंग चीन की गद्दी पर तीसरी बार बैठने जा रहे हैं। अमेरिका ने चीन को सबसे गंभीर चुनौती करार दिया है। इस अमेरिकी फैसले से चीन में खलबली मच गई है। वैसे ही चीन की आखों में अमेरिका खटकता रहता है।
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चीन के खिलाफ भारत को मजबूत करेगा अमेरिका
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन की ओर से जारी इस रक्षा नीति को बाइडन प्रशासन ने बनाया है। अमेरिका ने इस राष्ट्रीय रक्षा नीति का ऐलान ऐसे समय पर किया है जब हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ती ही जा रही है। इस राष्ट्रीय रक्षा नीति को अमेरिका की संसद ने भी मंजूरी दी है। अमेरिका के इस राष्ट्रीय रक्षा नीति में कहा गया है कि, रक्षा मंत्रालय भारत के साथ अपने बड़े रक्षा भागीदारी को आगे बढ़ाएगा ताकि चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए उसकी क्षमता में इजाफा हो सके। साथ ही हिंद महासागर में स्वतंत्र और मुक्त आवागमन को सुनिश्चित किया जा सके। इसके मुताबिक चीन ने सबसे व्यवस्थित चुनौती अमेरिका के सामने पेश की है।
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चीन को चारो ओर से घेरने की तैयारी
इसके आगे अमेरिका ने कहा है कि, US के राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ सबसे व्यापक और सबसे गंभीर चुनौती चीन की बलपूर्वक और आक्रामक गतिविधियां हैं ताकि हिंद प्रशांत क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अपने मुताबिक ढाला जा सके। यह चीन की सर्वाधिकारवादी प्राथमिकता और हितों को सूट करता है। साथ ही सुपर पावर ने ये भी कहा है कि, वो अपने सहयोगियों और भागीदारों को भी अमेरिकी नीति और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक मदद देगा ताकि चीन की पूर्वी चीन सागर, ताइवान स्ट्रेट, दक्षिण चीन सागर और भारत के साथ विवादित सीमा पर नियंत्रण स्थापित करने के अभियान को करारा जवाब दिया जा सके। ऐसे में चीन के लिए ये करारा झटका है। क्योंकि, तीसरी बार गद्दी पर सवार होते ही शी जिनपिंग ने कहा है कि, ताइवान को वो हर हाल में लेंगे। चाहे इसके लिए क्यों न बल की मदद लेनी हो।
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