रूस के नए Naval Doctrine से अमेरिका के उड़ जाएंगे होश! Putin बोले- भारत संग मिलकर बढ़ाएंगे अपनी ताकत

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रूस के लिए इस वक्त सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी अमेरिका है। हालांकि, अमेरिका शुरू से ही रूस का प्रतिद्वद्वी रहा है और जब यूक्रेन में रूस ने सैन्य अभियान शुरू किया तो अमेरिका को मॉस्को को कमजोर करने का बहाना मिल गया। रूस और यूक्रेन के बीच चल रही इस जंग में अमेरिका संग पश्चिमी देश कुद पड़े। दरअसल, अमेरिका सुपर पावर बना रहना चाहता है और रूस लगातार उसे टक्कर दे रहा था। ऐसे में अमेरिका ने इस सैन्य अभियान का फायदा उठाते हुए रूस को कमजोर करने के लिए यूक्रेन की पूरी तरह से मदद कर रहा है। अब नेवल डॉक्ट्रिन में अमेरिका को रूस के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया गया है।</p>
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नेवी डे के अवसर पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नए 'नेवल डॉक्ट्रिन' पर हस्ताक्षर किए और इसी डॉक्ट्रिन में अमेरिका को रूस के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया गया है। पुतिन ने आर्कटिक और काला सागर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए रूस की वैश्विस समुद्री महत्वाकांक्षाओं को भी सार्वजनिक किया। सेंट पीटर्सबर्ग में रूस के नौसेना दिवस पर बोलते हुए पुतिन ने, रूस को एक महान समुद्री शक्ति बनाने और रूसी राज्य की वैश्विक स्थिति को बढ़ाने के लिए पीटर द ग्रेट की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि, एडमिरल गोर्शकोव युद्धपोत को जिरकॉन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की डिलीवरी चंद महीनों के भीतर शुरू हो जाएगी। उनकी तैनाती का स्थान रूसी हितों पर निर्भर करेगा।</p>
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<strong>रूस के पास किसी को भी हराने के लिए है सैन्य ताकत</strong></p>
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इस अवसर पर अपने भाषण में पुतिन ने रूस की अनूठी जिरकॉन मिसाइल का उदागरण देते हुए कहा कि, रूस के पास किसी भी संभावित हमलावरों को हराने के लिए सैन्य ताकत है। बदा दें कि, रूस की जिरकॉन को दुनिया की सबसे तेज स्पीड से चलने वाली मिसाइल कहा जाता है। पुतिन ने भाषण के कुछ देर पहले ही 55 पेज के नए नेवल डॉक्ट्रिन पर हस्ताक्षर किए। इसमें रूस की नौसेना के व्यापक रणनीतिक उद्देश्यों को निर्धारित किया गया है। इस डॉक्ट्रिन में रूसी नौसेना को महान समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षाएं शामिल हैं जो पूरी दुनिया में फैली हुई हैं। इसमें कहा गया है कि रूस के लिए प्रमुख खतरा निया के महासागरों पर हावी होने की अमेरिकी रणनीतिक नीति और नाटो सैन्य गठबंधन का रूस की सीमाओं के नजदीक मूवमेंट है। इसमें अमेरिका को रूस के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया गया है।</p>
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<strong>भारत के साथ नौसैनिक सहयोग बढ़ाने पर जोर</strong></p>
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भारत और रूस के बीच काफी लंबे समय से और गहरी दोस्ती रही है। यहां तक की यूक्रेन में रूस द्वारा सैन्य अभ्यास का जब पश्चिमी देशों ने विरोध किया और पूरी दुनिया संग भारत से करने के लिए कहा तो इंडिया इससे अलग हो गया और ना ही रूस के खिलाफ गया और न ही यूक्रेन के पक्ष में। अब रूस ने भारत के साथ रणनीतिक और नौसैनिक सहयोग की प्राथमिकता दिया है। भारत के साथ ही रूस ने ईरान, इराक, सऊदी अरब और क्षेत्र के अन्य देशों के साथ व्यापक सहयोग विकसित करेगा। इसमें रूस ने स्वीकार किया है कि उसके पास विश्व स्तर पर पर्याप्त नौसेना के ठिकाने नहीं हैं। ऐसे में वह अपने सैन्य बल का उपयोग दुनिया के महासागरों में मौजूदगी को बनाने के लिए कर सकता है।</p>
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नौसेना के नए डॉक्ट्रिन में आर्कटिक महासागर को लेकर भी लक्ष्य का निर्धारण किया गया है। उधर अमेरिका रूस पर बार-बार आरोप लगातार रहा है कि, वो आर्कटिक महासागर का बड़े पैमाने पर सैन्यीकरण कर रहा है। रूस की विशाल 37,650 किमी (23,400 मील) तटरेखा, जापान के सागर से सफेद सागर तक फैली हुई है, इसमें काला सागर और कैस्पियन सागर भी शामिल है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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