पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी सरकार बचाने के लिए पूरी कोशिश की लेकिन, वो नाकाम रहे। विपक्ष और पाकिस्तान की कोशिश में उनकी हार हुई। इमरान खान का कहना है कि, उनकी सरकार को गिराने के लिए विदेशी ताकतें पीछे पड़ी थी। उन्होंने अमेरीका पर इसका इल्जाम लगाया है। लेकिन, अब इरमान खान आगे कि सियासी लड़ाई संसद की बजाय सड़क पर लड़ने की सोच रहे हैं।
बता दें कि, पिछले कुछ समय से पाकिस्तान की राजनीति में जमकर नौटकी चली। इरमान खान को इस्तीफा देने के लिए विपक्ष और सेना ने पूरी कोशिश की और अंत में वो सफल भी हो गए। इससे पहले हाल ही में होने वाले अविश्वास प्रस्ताव को डिप्टी सीएम ने खारिज करते हुए संसद को भंग कर दिया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए मुहर लगा दी। जिसमें इमरान खान की सरकार गिर गई। अब इमरान खान ने ऐलान किया है कि, वह नेशनल असेंबली में चोरों के साथ नहीं बैठेंगे, इसलिए सदन में इस्तीफा देना चाहते हैं।
इमरान खान के साथ ही पीटीआई के 125 सांसद पद से इस्तीफा देंगे। यही नहीं इमरान खान के जाने के साथ ही पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान के गवर्नरों ने भी अपने इस्तीफों का ऐलान कर दिया है। खैबर पख्तूनिस्तान के गवर्नर शाह फरमान ने तो इस्तीफा दे भी दिया है। वहीं सिंध के गवर्नर ने कहा कि शहबाज शरीफ के शपथ लेते ही वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। इसके साथ ही इमरान खान समर्थन में पेशावर, कराची, लाहौर, इस्लमाबाद और रावलपिंडी समेत तमाम बड़े शहरों में जमकर नारे लगे।
इस दौरान लोगों ने पाकिस्तान की आर्मी के खिलाफ भी नारे लगाए कि, चैकिदार चोर है। हालांकि सेना का कहना है कि वह राजनीतिक सत्ता तय करने में दखल नहीं देना चाहती है। आमतौर पर सेना पाकिस्तान में सत्ता की दिशा तय करने में शामिल रही है, लेकिन इस बार उसकी चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में इमरान खान पूरी लड़ाई को सड़क पर ले जाना चाहते हैं और आने वाले वक्त में चुनाव के लिए पार्टी को मजबूत करना चाहते हैं।
इमरान खान की इसी रणनीति के तहत उनके समर्थकों ने अपने पदों से इस्तीफा देना शुरू कर दिया है। मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा खैबर पख्तूनख्वा के सीएम महमूद खान ने कहा है कि हम कैप्टन के साथ आखिरी वक्त तक खड़े रहेंगे।