एक साल पहले भयानक बाढ़, पेशावर-कराची में धमाके,आईएमएफ के कर्ज तले डूबा, महंगाई इतनी की लोग खाने-पीने को तरसे, पीओके में संघर्ष ये सारी दास्तां पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) की है। आलम यह है कि कोई भी देश कर्ज देने को तैयार नहीं है। वहीं अब तो खुद इस्लामिक देश भी पाकिस्तान के सबसे बड़े दुशमन बने हुए हैं। आलम यह है इतना सब कुछ होने के बावजूद पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकताएं आईने की तरह साफ हैं। देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के हालिया बयानों से तो ऐसा ही लगता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज हासिल करने और एक आम आदमी की मुश्किलें कम करने पर ध्यान लगाने के बजाय पाकिस्तान सरकार का ध्यान देश के परमाणु कार्यक्रम पर है। जी हां, बीते दिनों पाक वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा उनकी सरकार देश के परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम पर कोई समझौता नहीं करेगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कंगाली में भी पाकिस्तानी हुकूमत का ध्यान परमाणु बमों पर क्यों है?
इशाक डार ने ऐसा क्या कहा?
सबसे पहले आपको बता दें कि वित्त मंत्री इशाक डार ने क्या कहा? गुरुवार को सीनेट में एक सवाल के जवाब में डार बोले, ‘मैं पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन में विश्वास करता हूं। मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि कोई भी पाकिस्तान के परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम पर समझौता करने नहीं जा रहा है, बिल्कुल नहीं।’ उन्होंने कहा कि किसी को भी पाकिस्तान को यह हुक्म देने का हक नहीं है कि ‘पाकिस्तान कितनी रेंज की मिसाइलें और कौन से परमाणु हथियार रख सकता है।’
शहबाज शरीफ क्या बोले?
वित्त मंत्री के बयान के कुछ देर बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का भी इस मामले पर बयान आ गया। शहबाज ने एक ट्वीट में कहा कि पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम के बारे में भ्रामक अटकलें दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा ‘जिस उद्देश्य के लिए यह ताकत विकसित की गई थी, यह पूरी तरह से उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जारी है।’
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आखिर क्यों देनी पड़ी सफाई?
तो चलिए अब बताते हैं पाकिस्तानी हुकूमत को इस तरह के बयान क्यों जारी करने पड़े। दरअसल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के वरिष्ठ नेता और सीनेटर रजा रब्बानी ने देश के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कुछ चिंताएं जाहिर करते हुए सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के लोगों को यह जानने का पूरा हक है कि क्या मुल्क की परमाणु संपत्ति किसी तरह के दबाव में है? उनका इशारा आईएमएफ बेलआउट पैकेज में हो रही देरी की तरफ था।
पाकिस्तानी हथियारों से कौन नाखुश?
ऐसे में किसी ने भी इस पश्चिमी देश का नाम खुलकर नहीं लिया है लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका पाकिस्तान क परमाणु क्षमताओं से नाखुश है। मौजूदा आर्थिक संकट और हालिया आतंकवादी हमलों के चलते परमाणु शस्त्रागार को सुरक्षित करने की पाकिस्तान की क्षमता सवालों के घेरे में आ गई है। पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पाकिस्तान को ‘दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक’ करार दिया था।
पाकिस्तानी परमाणु हथियारों का जखीरा कैसा?
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास करीब 100 से 120 परमाणु हथियार हैं जिन्हें विमान और जमीन से मार करने वाली मिसाइलों से दागा जा सकता है। वहीं भारत के पास 90 से 110 परमाणु हथियार है। इंटरनेशनल पीस रिपोर्ट के लिए एक कार्नेगी एंडोमेंट ने रिपोर्ट किया है कि अनुमान है कि पाकिस्तान 2025 में दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी परमाणु हथियार शक्ति बन जाएगा। तब उससे आगे सिर्फ अमेरिका और रूस होंगे।
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