अपने दोस्त Taliban के राह पर चल पड़ा Pakistan, टूरिस्ट प्लेस पर महिलाओं का जाना किया बैन, पकड़े जाने पर…

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पाकिस्तान में इस वक्त आर्थिक भूचाल आया हुआ है, देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिरते जा रही है। जिसके चलते मुल्क में कई चीजों का संकट गहराता चला जा रहा है। यहां पर बिजली की भारी संकट है, कई इलाकों में सिर्फ 6-8 घंटों के लिए बिजली आ रही है। इसके साथ ही महंगाई अपने चरम पर है। पेपर की भारी कमी के चलते स्कूलों में परिक्षाएं रद्द की जा रही हैं। इसके साथ ही कई और समस्याएं देश के सामने खड़ी हैं लेकिन, पाकिस्तान को इन सबसे कोई लेना देना नहीं है। उसे आतंकियों के लिए काम करना है या फिर कुछ ऐसा की वो दुनिया की नजरों में आ जाए। अब तो लगता है पाकिस्तान अपने पुराने दोस्त तालिबान के रास्ते पर चलने लगा है। क्योंकि, अब पाकिस्तान में महिलाओं को टूरिस्ट प्लेस पर जाने से बैन लगा दिया गया है।</p>
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पाकिस्तान के बाजौर ज़िले की तहसील सालारजई में एक जिरगा ने महिलाओं के पर्यटन स्थलों पर जाने को प्रतिबंधित कर दिया है। पाक मीडिया की माने तो, सालारजई में स्थानीय बुज़ुर्गों की एक भव्य जिरगा जिसे परिषद या सभा भी कहते हैं। ने यह फरमान जारी किया है। जिरगा ने अपने फैसले में आदेश दिया कि महिलाएं पुरुषों के साथ भी पर्यटन स्थलों पर नहीं जाएंगी, यह उनकी परंपराओं के ख़िलाफ़ है। जिरगा जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (JUI-F) की देखरेख में आयोजित किया गया था जिसे जेयूआई-एफ जिला अमीर ने संबोधित किया।</p>
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मौलाना ने हिल स्टेशनों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को शामिल करने पर सहमति जताते हुए इसे अश्लील बताते हुए अपने फैसले का ऐलान किया। मौलाना का कहना है कि, हम अधिकारियों से इस प्रथा को समाप्त करने के लिए कहते हैं क्योंकि हम कानून को अपने हाथ में नहीं लेंगे। यह निर्णय सालारजई के सभी कबीलों द्वारा किया गया है। पर्यटन की आड़ में महिलाओं को पिकनिक स्पॉट पर ले जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अगर सरकार इस संबंध में कोई कार्रवाई करने में विफल रही तो जिरगा इस पर प्रतिबंध लगाएगी। यह भी मांग किया गया है कि, जिले के विभिन्न विभागों में स्थानीय निवासियों की भर्ती की जाए और गैर-स्थानीय लोगों को स्वीकर नहीं किया जाएगा। जब दुनिया इतनी आगे बढ़ रही है, आधुनिक होते जा रही है, महिलाएं हर एक क्षेत्र में अपने प्रतिभा को दिखा रही हैं तो ऐसे में पाकिस्तान अपनी उसी घटिया सोच को लेकर चल रहा है जिसे वो दशकों से लेकर चलता आया है।</p>
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<strong>जिरगा पाकिस्तान की सदियों पुरानी परंपरा है</strong></p>
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बता दें कि, सालारजई एक आदिवासी जिला। खैबर-पख्तूनवा प्रांत के साथ विलय के बावजूद, यहां के स्थानीय बुजुर्ग अपने अनुसार फैसले लागू करते हैं। ये सिर्फ कानून नहीं बल्कि, पाकिस्तान के ही संविधान और कानूनों की धज्जियां उड़ाते हैं। इसे पाक का पिछड़ा जिला माना जाता है। यहां जिरगे की सदियों पुरानी परंपरा अभी तक चली आ रही है। पहले कबीले हुआ करते थे और कई कबीलों के नेताओं का एक जिरगा लगाया जाता था। जहां सभी तरह के फैसले लिए जाते थे। आमतौर पर इस तरह के कबीले कुछ अन्य देशों में भी पाए जाते हैं।</p>
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आईएन ब्यूरो

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