Expectations from India in SCO: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 15-16 सितंबर को समरकंद, उज्बेकिस्तान में आयोजित हो रहा है। शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की यह 22वीं बैठक है। ये शिकर सम्मेलन ऐसे समय में हो रही है जब रूस-यूक्रेन संग जंग छिड़ी है साथ ही चीन और ताइवान के बीच तनाव और भारत संग सीमा विवाद चल रहा है। इसके साथ ही पश्चिमी देश, चीन और रूस के बीच संप्रभुता, लोकतंत्र, मानवाधिकारों और आर्थिक प्रतिबंधों के मुद्दों पर तीखे मतभेद हैं। ऐसे में इस शिखर सम्मेलन में यह देखा जाना दिलचस्प होगा कि कौन किसके साथ है। ये सम्मेलन भारत के लिए भी बेहद अहम है (Expectations from India in SCO) एक ओर उसका घनिष्ठ मित्र रूस है तो दूसरी ओर कट्टर विरोधी चीन। इसके साथ ही दुनिया भारत (Expectations from India in SCO) की ओर बड़े आस से देख रही है कि वो रूस-यूक्रेन, चीन-ताइवान तनाव को कम कर शांति बहाली करने की कोशिश करे।
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पीएम मोदी के अगुवाई में भारत उभरती वैश्विक व्यवस्था में अत्यधिक विभाजित गुटों के बीच एक तटस्थ मध्यस्थ होने के लिए अच्छी तरह से स्थापित है क्योंकि इंडिया हमेशा से हर चीज को शांती से निपटा लेने की मंसा रखता है। SCO में भारत की भागीदारी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि, SCO सदस्यों के लिए चिंता के मुख्य मुद्दों को सामने लगाकर एक आपसी संतुलन कायम करना। भारत चाहेगा कि आर्थिक विकास के लिए सहयोग और व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास और आतंकवाद जैसी समस्याओं खत्म हो।
एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर द्विपक्षीय सभी सदस्य देशों को अन्य सदस्यों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर गतिरोध को तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं। एससीओ की सफलता और विफलता को एक तरफ आम हित के मुद्दों को संबोधित करने और संदेह को दूर करने के लिए खुले दिमाग वाले द्विपक्षीय जुड़ाव के माध्यम से रास्ता बनाने और दूसरी तरफ द्विपक्षीय मतभेदों को हल करने की दिशा में एक प्रवेश द्वार खोलने की क्षमता से आंका जाएगा।
सबसे बड़ी बात यह है कि, यह संगठन दुनिया के सबसे बड़े बहुपक्षीय संगठनों में से एक है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत और दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी के लिए जिम्मेदार है। इस सम्मेलन में आर्थिक विकास के लिए एससीओ सदस्यों के बीच सहयोग, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के लिए सामूहिक प्रतिक्रिया का निर्माण और आतंकवाद का मुकाबला के साथ ही कोविड-19 आर्थिक सुधार के बाद लंबे समय में शांति और समृद्धि लाने में होगा।
भारत एससीओ की विशाल क्षमता से अवगत है और सभी हितधारकों के लिए आपसी सह-अस्तित्व और जीत-जीत की रणनीतियों के आधार पर शांति, समृद्धि और सामंजस्य लाने और बढ़ावा देने के लिए हमेशा इस मंच का उपयोग करना चाहता है। 2017 के बाद से, जब यह एससीओ का पूर्ण सदस्य बन गया, भारत ने सामान्य रूप से पूरे यूरेशियन क्षेत्र और विशेष रूप से एससीओ सदस्य देशों की शांति, समृद्धि और स्थिरता को प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं।
भारत शुरुआत से ही और बार बार रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और नशीली दवाओं-नसीले पदार्थों के व्यापार के अलावा अन्य क्षेत्रीय सुरक्षा से संबंधित चिंताओं पर सहयोग करता रहा है। भारत लगातार आतंकवाद को खत्म करने पर जोर देता आ रहा है। इस सम्मेलन में पीएम मोदी कई मुद्दाओं पर बात कर सकते हैं। भारत से क्षेत्रीय और क्रॉस-रीजनल कनेक्टिविटी के एजेंडे को आगे बढ़ाने और परिवहन, संचार और व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा की उम्मीद है। भारत इस शिखर सम्मेलन में चाबहार बंदरगाह परियोजना और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) को आगे बढ़ाने की उम्मीद है ताकि मध्य एशियाई देशों और एससीओ सदस्यों को पूरी क्षमता का एहसास हो सके। भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान ने चाबहार बंदरगाह और अन्य कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर अधिक से अधिक अभिसरण की तलाश के लिए 2020 से पहले ही एक त्रि-पक्षीय कार्य समूह की स्थापना की है।
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पीएम मोदी एससीओ सदस्यों से ऊर्जा सहयोग सुनिश्चित करने और तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान-भारत (तापी) बिजली पारेषण लाइन सहित चल रही परियोजनाओं में सभी गड़बड़ियों को दूर करने पर जोर दे सकते हैं। इस संगठन में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान देश शामिल हैं। भारत की ओर दुनिया इस उम्मीद के साथ देख रही है कि, पीएम मोदी SCO के जरिए शांति, समृद्धि और सतत विकास के लिए सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर देंगे।
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