PM Modi and Joe Biden in G-20 Summit: यूक्रेन पर रूस (Russia Ukraine War) को हमला बोले आठ महीने हो गया है और इतने दिनों में यूक्रेन में भयंकर तबाही मची है। खासकर क्रीमिया पुल पर यूक्रेन द्वारा किये गए हमले के बाद रूस भयानक रूप धारण कर लिया है और राजधानी कीव पर जमकर हमले कर रहा है। इस जंग ने न सिर्फ यूक्रेन को बर्बाद किया है बल्कि इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। अमूमन महंगाई की मार पूरी विश्व झेल रहा है। हालांकि, यूक्रेन के अलावा अगर सबसे ज्यादा इस जंग का किसी पर असर पड़ा है तो वो है यूरोप देश। ऐसे में अब नाटो पर प्रेशर होने लगा है कि इस जंग को खत्म करने की। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi and Joe Biden in G-20 Summit) से इस जंग को लेकर बाद कर सकते हैं। क्योंकि पीएम मोदी रूस और यूक्रेन से शांति की अपील कर चुके हैं। अब सबकी नजरें जी-20 समिट पर टिकी हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि, पीएम मोदी (PM Modi and Joe Biden in G-20 Summit) की मध्यस्थता से रूस-यूक्रेन के बीच शांति का रास्ता निकल सकता है।
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जी-20 समिट में निकल सकता है जंग खत्म करने का रास्ता
इंडोनेशिया के बाली में 15-16 नवंबर को जी-20 देशों की बैठक होने वाली जिसपर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। संभावना है कि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच इस दौरान बातचीत हो सकती है। जी-20 देश दुनिया की 75-70 फीसदी अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी से जुड़े मुद्दों पर इसमें बात तो होगी ही साथ ही माना जा रहा है कि, यहां पर रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने की दिशा में भी कदम उठाया जाएगा।
इंडिया करा सकता है मध्यस्थता
जी-20 बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे ऐसे में माना जा रहा है कि जंग को खत्म करने में वो अहम भूमिक निभा सकते हैं। क्योंकि, पीएम मोदी लगातार रूस और यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्षों से शांति की अपील करते आ रहे हैं और साथ ही ये भी प्रस्ताव दे चुके हैं कि भारत इस संकट के समाधान में भूमिका निभाने के लिए तैयार है। भारत के बयानों और उसके फैसलों को देखते हुए कई यूरोपीय देश भी कह चुके हैं कि भारत इसके लिए पहले करे। कई देशों ने भारत के रुख का भी समर्थन किया है। ऐसे में इस बैठक के दौरान दुनिया की निगाहें बाइडेन-पुतिन की मुलाकात के साथ ही भारत के रुख पर भी टिकी हुई हैं।
यूरोप में जंग खत्म करने की उठने लगी मांग
अमेरिका इस जंग में अहम भूमिका निभा रहा है। यूक्रेन की सैन्य हथियारों के साथ ही आर्थिक रूप से वो पूरी तरह मदद कर रहा है। रूस इसी बात को लेकर चिढ़ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि, जब पुतिन और बाइडन आमने सामने होंगे तो जंग खत्म करने का कोई रास्ता निकाल सकते हैं और ये जरूरी भी है। क्योंकि, जानकारों का कहना है कि, इस वॉर के चलते पूरे यूरोप में मंदी छाई हुई है जिसके चलते नाटो देशों पर युद्ध खत्म करने का दबाव बढ़ रहा है। यूरोप के कई देशों में जनता की ओर से भी शांति की मांग उठी है।
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अमेरिका पर ज्यादा दबाव
मौजूदा हालात को देखते हुए कहा जा रहा है कि, अमेरिका पर इस जंग का ज्यादा दबाव बनता जा रहा है। दरअसल, अरब देशों का रूस का समर्थन मिल रहा है और ओपेक देशों के साथ मिलकर सऊद अरब ने ऐलान भी कर दिया है कि, एक नवंबर से तेल का उत्पादन 20 लाख बैरल प्रतिदिन कम करेगा। ऐसे में ये अमेरिका के साथ ही यूरोप के लिए बड़ा झटका है। ऐसे में रूस अपना तेल और गैस वहां बेचने में कामयाब होग। इससे अमेरिका समेत पूरी यूरोप में मश्किलें पैदा होंगी। ऐसे में बाइडन पर ज्यादा प्रेशर बन रहा है। माना जा रहा है कि, जब वो पुतिन से मिलेंगे तो वो कोई न कोई रास्ता जरूर निकालने का प्रयास करेंगे।
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