इमैनुएल मैक्रों फ्रांस के राष्ट्रपति दोबारा चुन लिए गए हैं। 20 साल बाद लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने वाले मैक्रों पहले व्यक्ति हैं। उन्हें अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी मरीन ली पेन से कड़ी टक्कर मिली। फ्रांस के राष्ट्रपति के चुनावों पर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन की निगाहें लगी हुई थीं। अगर मरनी ली पेन जीत जाती तो यूरोप के भविष्य पर संकट और यूक्रेन-रूस युद्ध पर भी व्यापक असर हो सकता था। मैक्रों के चुनाव जीतने से किसी को खुशी हुई होगी लेकिन चीन और पाकिस्तान सुलग कर रह गए हैं। चीन पाक के सुलगने का कारण यह है कि चुनाव जीतने के बाद अपने समर्थकों के बीच आए मैक्रों ने खाटी भारतीय स्टाइल यानी पीएम मोदी स्टाइल में हाथ जोड़ कर सबका अभिवादन किया।
कोरोना महामारी और यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच जारी राष्ट्रपति चुनाव में मैक्रों ने उन्हें एक और मौका देने की अपील मतदाताओं से की थी। इस चुनाव में जीत हासिल कर मैक्रों पिछले 20साल में लगातार दूसरा कार्यकाल हासिल करने वाले पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति बन गए हैं। इसके अलावा यूरोप की भविष्य की दिशा तय करने में और यूक्रेन में युद्ध रोकने के पश्चिमी देशों के प्रयासों पर दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
हाल के दिनों में सभी ओपिनियन पोल ने यूरोप समर्थक मध्यमार्गी नेता मैक्रों का अनुमान लगाया था। हालांकि कहा गया था कि उनके और राष्ट्रवादी प्रतिद्वंद्वी मरीन ली पेन पर जीत का अंतर छह से 15प्रतिशत मत के बीच रह सकता है। दोनों उम्मीदवार एक वामपंथी उम्मीदवार के 77लाख मतों को प्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे। मतदान केंद्र रविवार सुबह आठ बजे खुल गए थे और अधिकतर स्थानों पर शाम सात बजे बंद हो गए, जबकि बड़े शहरों में रात आठ बजे तक मतदान केंद्र खुले रहे।
वहीं इससे पहले 10अप्रैल को राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण के मतदान में 10अन्य उम्मीदवार भी इस दौड़ में शामिल थे। चुनाव के दौरान वामपंथी रूझान रखने वाले वे लोग असमंजस की स्थिति में हैं जो इमैनुएल मैक्रों को पसंद नहीं करते, लेकिन वे धुर दक्षिणपंथी मरीन ली पेन के पक्ष में भी मतदान नहीं करना चाहते। फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद फ्रांसीसी पोलिंग एजेंसी ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के दक्षिणपंथी उम्मीदवार मरीन ली पेन पर बढ़त हासिल किए जाने का अनुमान जताया था।
यूरोप के पूर्वी छोर पर यूक्रेन और रूस के युद्ध के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति चुनावों काफी महत्वपूर्ण थे। यूरोपियन यूनियन पर इन चुनावों का व्यापक असर होगा। अमेरिका तो सांसें ही अटकी हुई थीं। मैक्रों के चुनाव जीतने से सबसे ज्यदा राहत अमेरिका को ही मिली है।