सऊदी अरब ने जब से तबलीगी जमात को आतंकियों को गिरोह बता कर प्रतिबंधित किया है तब से इंडिया-पाकिस्तान-मलेशिया और इंडोनेशिया सहित पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है। खलबली सिर्फ इसलिए नहीं कि तबलीगी जमात को आतंकियों का गिरोहा बता दिया, खलबली तो इसलिए मची हुई है कि अब दीन-इस्लाम के नाम पर कई मौलाना-मदरसों की इनकम बंद हो जाएगी। अभी तक सऊदी सरकार से ये मौलाना-मदरसे ‘दीनी-दावत’के नाम लाखों डॉलर हर जकात (भीख) की शक्ल मेंकमाते थे। अब अचानक फोकट में मिलने वाली रकम पर भी रोक लग चुकी है। ध्यान रहे सऊदी अरब ने कहा है कि तबलीगी जमात आतंकियों का अड्डा है। ये सऊदी अरब के समाज पर गलत असर डाल रही है।
तबलीगियों का हेड क्वार्टर दिल्ली में
ध्यान रहे, ये वही तबलीगी जमात है जो कोरोना के मास स्प्रेडर की शक्ल में सामने आई थी। निजामुद्दीन इलाके में तबलीगियो की मुख्य मस्जिद और जमात का मुख्यालय है। इसका मुखिया मौलाना साद कई महीनों तक इसी मस्जिद में छुप कर बैठा रहा। फिर दबाव बढ़ने पर मस्जिद से निकल कर गायब हो गया था। इंडिया के सोकॉल्ड लिब्रल्स ने मोदी सरकार को दोष दिया था कि तबलीगियों के साथ कोरोनाकाल में प्रताड़ित किया जा रहा है। अब इन तबलीगियों की असलियत सामने आ गई है। पाकिस्तान के मदरसे-मौलाना और मुसलमान इंडिया की मोदी सरकार की ओर निगाहें लगाकर बैठे हैं। क्यों कि तबलीगियों का मरकज दिल्ली में और सुन्नी मुसलमानों का दुनिया का सबसे बड़ा मरकज दारुल उलूम देवबंद सहारनपुर यूपी में है। इंडिया से ज्यादा मुसलमानों के दिलों में खौफ है कि सऊदी अरब के इस ऐलान से मोदी-योगी सरकार को एक बड़ा हथियार दे दिया है। अब तो इंडिया में तबलीगियों पर कार्रवाई के लिए हरी झण्डी मिल गई है और पाकिस्तान के हाथ से एक मौका भी सऊदी अरब ने छीन लिया है। पाकिस्तान, मुसलमानों के साथ कथित उत्पीड़न का इल्जाम इंडिया पर लगा कर बार-बार ओआईसी में मुद्दा उछालता रहता था।
सऊदी सरकार ने क्या कहा
सऊदी सरकार में इस्लामी धार्मिक मामलों के मंत्रालय की ओर से मस्जिदों में खुतवा दिया गया है कि सऊदी नागरिक तबलीगी जमात के साथ कोई संबंध न रखें। अगर कोई सऊदी नागरिक तबलीगी जमात से कोई ताल्लुक रखेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। देश के इस्लामी मामलों के मंत्री ने सोशल मीडिया पर सुन्नी इस्लामी संगठन को आतंकवाद के द्वारों में से एक बताते हुए प्रतिबंध का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि तब्लीगी जमात समाज के लिए खतरा है।
कैसे बनी, क्या करती है तबलीगी जमात
तब्लीगी जमात की शुरुआत लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी। तब्लीगी जमात का काम विशेषकर इस्लाम के मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना होता है। पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताए गए इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत और तब्लीग के लिए समय निकालना) का प्रचार करना होता है। दुनियाभर में एक प्रभावशाली आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में मशहूर जमात का काम अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से होने वाली गुटबाजी का शिकार हो गया है।
दावत और तबलीग का दावा करने वाले तबलीगियों पर गंदे-धंधों में शामिल होने के आरोप लगने लगे। तबलीगियों के आका आपस में ही भ्रष्टाचार का आरोप लगाने लगे हैं। दिल्ली में भी तबलीगी जमात का मुखिया होने का दावा मौलाना शाद और उसके चचा अलग अलग करते हैं। तबलीगियों पर ये भी आरोप लगते रहे हैं ये लोग देशद्रोही गतिविधियों में भी शामिल हो जाते हैं। इंडिया में भी सुरक्षा बलों ने कई बार मस्जिदों में छिपे आतंकियों को पकड़ा या मुठभेड़ में ढेर किया है। हालांकि भारत सरकार ने तबलीगी जमात को अभी तक आतंकी संगठन घोषित नहीं किया है।