अफगानिस्तान में तालिबान ने जब से कब्जा किया है, तब से देश अर्थव्यवस्था, रोजगार, गरीबी, भुखमरी, बैंकिंग व्यवस्था जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन सब पर ध्यान देने के बजाय तालिबान मनमाने तरीके से कानून पारित कर रहा है और अफगानियों से उसका पालन करवा रहा है। तालिबान ने इंसान तो इंसान, निर्जीव पुतलों तक को नहीं बख्शा है। तालिबान ने पुतलों का सिर कलम करवाने की इजाजत दे दी है। तालिबान का कहना है कि ये पुतले इस्लाम द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
The department of vice and virtue of Taliban in the western province of Herat ordered shopping malls to remove the heads of mannequins.
The department in a statement said that the mannequins are similar to statues and must not be allowed in the markets. 😳 pic.twitter.com/vkS9Q7T0h3
— Zahra Rahimi (@ZahraSRahimi) December 30, 2021
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मिनिस्ट्री ऑफ प्रॉपगेशन ऑफ वर्च्यू ऐंड दि प्रिवेंशन ऑफ वाइस ने हेरात प्रांत में तालिबान ने दुकानदारों को आदेश दिया है कि वे अपनी दुकान में रखे पुतलों का सिर काटकर अलग कर दें, क्योंकि ये सब मूर्तियां हैं और इस्लाम में मूर्तियों की पूजा करना बड़ा गुनाह है। तालिबान के इस आदेश के बाद से दुकानदार काफी दुखी है। दुकानदारों का कहना है कि एक पुतले की कीमत 70 से 100 डॉलर तक है। यानी 5,215 से 7,451 रुपए है। इन्हें हटाने या सिर काटने से उनको नुकसान झेलना पड़ेगा। जिससे उनके छोटा-मोटा व्यवसाय भी नष्ट हो जाएंगे। अफगान दुकानदार मोहम्मद यूसुफ ने कहा- 'तालिबान नहीं बदला है। एक बार फिर प्रतिबंध होंगे।'
Afghanistan: Taliban orders ‘beheading of female mannequins’. Shopkeepers say move will severely hamper business.@alysonle brings you this report
Watch more: https://t.co/dm7SyBIpO6 pic.twitter.com/roEKbzsAOt
— WION (@WIONews) January 2, 2022
आपको बता दें कि तालिबानी राज में टीवी और हारमोनियम भी सुरक्षित नहीं हैं। हाल ही में तालिबान ने अल्लाह-हू-अकबर का नारा लगाते हुए पत्थर से हारमोनियम को कूच दिया था। इसी तरह से तालिबान लड़ाकों ने टीवी को मौत की सजा सुनाते हुए उसे भी तोड़ दिया था। इसके अलावा, तालिबान ने सत्ता में आने के बाद कहा था कि वो महिला और हर किसी के अधिकारों के लिए काम करेगा, लेकिन सत्ता में आने के बाद से ही तालिबान ने लोगों के अधिकारों को कुचलना शुरू कर दिया। खासकर महिलाओं के अधिकारों को खत्म कर दिया गया, यहां तक कि उनकी पढ़ाई पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।