पाकिस्तान के टेरी गांव में परमहंस जी के मंदिर और 'समाधि' का पिछले साल जीर्णोद्धार किया गया था। साल 2020 में एक भीड़ ने वहां तोड़फोड़ की थी जिसकी विश्व स्तर पर निंदा की गई थी। दरअसल, दिसंबर 2020 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के करक जिले में कट्टरपंथियों ने एक मंदिर में तोड़फोड़ की थी। पूरा मंदिर आग के हवाले कर दिया गया था, लेकिन अब मंदिर को दोबारा तैयार कर लिया गया है।
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भारत, अमेरिका और खाड़ी देशों के 200 से अधिक हिंदू तीर्थयात्रियों ने उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में 100 साल पुराने महाराजा परमहंस जी मंदिर में दर्शन किए। सुरक्षा के लिए 600 कर्मियों की तैनाती की गई थी। हिंदुओं के समूह में भारत के लगभग 200 श्रद्धालु थे, जबकि दुबई से पंद्रह, बाकी अमेरिका और अन्य खाड़ी राज्यों से थे। अधिकारियों ने कहा कि भारतीय यात्रियों ने लाहौर के पास वाघा सीमा पार किया और सशस्त्र कर्मियों ने उन्हें मंदिर तक पहुंचाया। इस कार्यक्रम का आयोजन पाकिस्तानी हिंदू काउंसिल द्वारा पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के सहयोग से किया गया।
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परमहंस स्वामी का पूरा नाम परमहंस स्वामी अद्वैतानंद था। साल 1846 में उनका जन्म बिहार के छपरा में हुआ था. रामनवमी के दिन जन्म के कारण उनका नाम राम याद पड़ा। वो बचपन से ही अद्भुत लक्षण थे। जल्द ही उनसे मिलने और उनके प्रवचन सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आने लगे। संन्यास का प्रचार-प्रसार करते हुए वो पाकिस्तान पहुंच गए। उन्होंने मृत्यु के बाद अपनी समाधि यहीं बनाने की इच्छा जताई थी। कहा जाता है कि इसी जगह आकर उन्हें आध्यात्म की अलौकिक ताकत का अहसास हुआ था। साल 1997 में इस समाधिस्थल को पूरी तरह से तोड़फोड़ दिया गया। इसके बाद हिंदुओं की मांग पर पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015 में इसके पुर्ननिर्माण की इजाजत दे दी।