पाकिस्तान की नई सरकार का गठन हो गया है लेकिन, मतभेदों का सिलसिला जारी है। शाहबाज सरीफ ने प्रधानमंत्री के पद पर बैठ गए हैं और उनके आते ही अमेरिका रिश्तों में सुधार लाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, यह कोशिश इतने आगे बढ़ गई कि अमेरिका का पांव पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) तक पहुंच गया। जिसपर भारत ने सख्त चेतावनी दी है। अमेरिकी कांग्रेस सदस्य इल्हान उमर के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का दौरा किया है। जिसपर भारत ने सख्त आपत्ति जताई तो अमेरिका ने अपनी सफाई दी है।
अमेरिकी डेमोक्रेट सांसद इल्हान उमर के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) दौरे पर भारत की सख्त आपत्ति व निंदा के बाद बाइडन प्रशासन ने सफाई दी है। अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया है कि इल्हान का यह दौरा सरकारी नहीं था। भारत ने इल्हान के दौरे को देश की संप्रभुता का हनन बताया था। वह पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी मिली थीं। पीओके दौरे को लेकर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि सांसद उमर का दौरा अमेरिकी सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं था।
बदा दें कि, इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस सदस्य इल्हान उमर के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर दौरे पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने सख्त आपत्ति जताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इल्हान उमर ने जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से का दौरा किया, जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। यदि ऐसी कोई राजनेता अपने देश में अपनी संकीर्ण मानसिकता की राजनीति करना चाहती है तो यह उसका अपना मामला है, लेकिन अगर ऐसा करके हमारे क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है तो यह हमारा सरोकार हो जाता है। यह निंदनीय है।
इसके साथ ही, रायसीना डायलॉग के संबंध में उन्होंने कहा कि, इसमें 90देशों के 210से अधिक वक्ताओं के साथ लगभग 100सत्र होंगे। हम सभी आतंकवादी हमलों की निंदा करते हैं जैसे कि अफगानिस्तान में हुआ है। हम वहां के घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। इसके आगे उन्होंने कहा कि, हमें भारत से यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों के लिए मानवीय सामान लेने के लिए मुंबई में उतरने की अनुमति के लिए जापान से एक अनुरोध मिला था। हमने वाणिज्यिक विमानों का उपयोग करके आपूर्ति लेने की मंजूरी दी है।
वहीं, ऑस्ट्रेलिया की शौक्षणिक स्वतंत्रता में भारतीय उच्चायोग द्वारा कथित हस्तक्षेप पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह संस्थान ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा मेलबर्न विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में स्थापित किया गया था और ऑस्ट्रेलियाई सरकार और संस्थानों द्वारा वित्त पोषित किया गया था। इस संस्थान के निर्णय लेने में भारत सरकार का कोई अधिकार नहीं है।