'अवैध कब्जाधारियों, रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों पर जब भी कार्रवाई होती है तो कांग्रेस-आम आदमी पार्टी उसे भारतीय मुसलमानों से जोड़ देती हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे सियासी दल भारतीय मुसलमानों की आने वाली नस्लों की राह में नागफनी की फसल बो रहे हैं'
राजस्थान में कांग्रेस के चिंतन शिविर, कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में बहुत सी बातें हुई। कांग्रेस माता, माफ कीजिए कांग्रेस की ‘कार्यवाहक’अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार फिर मुसलमानों पर अत्याचार की साजिश को हवा दी। जोधपुर, खरगौन और जहांगीरपुरी में दंगाई मानसिकता के मुसलमानों का बचाव किया। कांग्रेस को तो सिर्फ मौका चाहिए। वो रोहिंग्या, अवैध बांग्लादेशी या अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ कार्रवाई को देश के सभी मुसलमानों से जोड़ देती। कांग्रेस के राजकुमार जी हां वही राहुल गांधी ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’और कश्मीर में अलगवाद-आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों का समर्थन करने पहुंच जाते हैं। धीरे-धीरे जमीन खोती जा रही कांग्रेस सियासी साजिश में मुसलमानों को मोहरा बना रही है। देश को सांप्रदायिक दंगों में झौंकने की साजिश कर रही है।
गुण्डई AAP के मुस्लिम एमएलए का जन्मसिद्ध अधिकार?
शाहीन बाग में अवैध कब्जाधारियों पर बुल्डोजर चला तो आआपा (आम आदमी पार्टी)के अमानत उल्ला खां अपना आपा खो बैठे। कानून को अपने हाथ में उठा लिया। आखिर क्यों? क्यों कि वो सारे अवैध कब्जे अमानत उल्ला खां ने ही करवाए थे। अमनात उल्ला खां को किसने अधिकार दिया कि वो सरकारी कार्रवाई में अडंगा डाले। ‘जनप्रतिनिधि’ के आड़ में गुण्डई का अधिकार क्या इसलिए दे दिया जाए कि वो मुसलमान है, और जो अवैध कब्जाधारी हैं उनमें मुसलमान भी हैं? इन मुसलमानों में कुछ विदेशी अवैध रहवासी मुसलमान भी शामिल हैं। अमानत उल्ला खां, तय कर लें कि वो क्या है। गुण्डा-मवाली, अवैध कब्जा माफिया या वो जनप्रतिनिधि- जिसने भारत के संविधान की रक्षा की शपथ ली है। कम से कम घुसपैठिया रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को अवैध कब्जा करवाने की इजाजत भारत का संविधान कभी नहीं देता।
मुसलमानों के खिलाफ कांग्रेस और आआपा की साजिश!
कांग्रेस की सोनिया माता हों, या आआपा के अरविंद केजरीवाल और अमानत उल्ला खां- ऐसे लोग मुसलमानों की तरफदारी नहीं बल्कि देश के खिलाफ सांप्रदायिक साजिश जरूर कर रहे हैं। इसे अल्प संख्यकों के खिलाफ साजिश का नाम दिया जाता है। मुसलमान अल्प संख्यक कैसे हो सकते हैं? मुसलमानों ने 800 साल तक शासन किया है। बहुसंख्यकों पर शासन किया है। देश में 30 फीसदी से ज्यादा मुसलमानों की संख्या है। ये अल्प संख्यक कैसे? बहुसंख्यक हिंदुओं को सियासी तौर पर तोड़ कर अलग किए गए जैन-बौद्ध-सिख अल्प संख्यक हो सकते है- तमाम जन-जातियां अल्प संख्यक हैं। कश्मीरी पंडित अल्प संख्यक हैं। भारत में बहुत से ऐसे मत-पंथ हैं जो अल्प संख्यक हैं, लेकिन 30 फीसदी से ज्यादा आबादी वाले मुसलमान अल्प संख्यक क्यों हैं? और इन कथित अल्प संख्यकों पर फर्जी अत्याचारों की अफवाह और साजिश कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे सियासी दल क्यों कर रहे हैं?
कभी तुर्क-मंगोल तो कभी मुगल 800 साल तक लूटा!
जिन विदेशी मत और जाति(मुसलमानों) ने नाम बदल-बदल कर (कभी अरब, कभी तुर्क, कभी मंगोल तो कभी मुगल बनकर) हिंदुस्तान पर लगभग 800 साल शासन किया वो इस देश में अल्प संख्यक कैसे हो सकते हैं। खैर जो हुआ सो हुआ, इसके बावजूद आजादी से पहले से ही इन लोगों कोखास तरजीह दी गई। इन लोगों की वजह से हिंदुस्तान तीन टुकड़े हो गया, आजादी के बाद से इस शासक प्रजाति के लोगों को खास दर्जा दिया गया। इन लोगों को हिंदुस्तान में हिंदुओं से बढ़ कर अधिकार दिए गए। आजादी के बाद इन लोगों को देश के बाकी नागरिकों के बराबर अधिकार है। इन्हें खाने को भोजन, पढने के स्कूल-शिक्षा, सेहत के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं, और सरकारी नौकरियों में बराबर के अवसर दिए। इन्हें वोट देने का अधिकार भी एक समान है… तो फिर इन पर यानी मुसलमानों पर अत्याचार कौन कर रहा है? किस तरह के अत्याचार हो रहे हैं, क्यों बार-बार सवाल उठाए जाते हैं कि उनका शोषण हो रहा है, उनका अत्याचार हो रहा है? आखिर ये सवाल बार-बार और हर बार क्यों उठाए जा रहे हैं?
हिंदुस्तान पर 800 साल तक हुकूमत करने वाले अल्पसंख्यक कैसे!
मुसलानों ने 800 साल तक हिंदुस्तान पर राज किया है। मुसलमान शासकों ने बहुसंख्यक हिंदुओं के साथ हिंदुओं के देश में हिंदुओं को दूसरे दर्जे का नहीं बल्कि इंसानो जैसा सलूक तक नहीं किया। मुसलमानों के शासन काल में हिंदुओं के माल-जायदाद अस्मत-इज्जत सब की सब मुसलमान शासकों की बपौती होती थी। 800 सालों तक हिंदू काफिर कहलाए जाते रहे। मठ-मंदिर-ठाकुरद्वारे-गुरुद्वारे ध्वस्त कर दिए। हिंदु संस्कृति को नष्ट किया। मुसलमान न बनने पर खौलते तेल कढाओं में डाला गया। आरों से शऱीर को सरेआम चौराहों पर चीरा गया। हाथियों के पैरों से कुचलवा दिया गया। मंदिर की पवित्र मूर्तियों को कसाईयों के तराजू में रख दिया। मंडियों में हिंदू बहन-बेटियों की इज्जत एक अदद मुर्गी की कीमत से भी कम… रौंगटे खड़े हो जाते हैं। खून खौलता है, उस इतिहास को पढ़कर जो हमसे छिपाया गया।
लरकाना, ननकाना, अटक, सरहिंद में हिंदू-सिंधी-सिखों पर अत्याचार!
इसके बावजूद मुसलमान जाति (विशेष मत को मानने वाले लोगों) को हिंदुओं ने अंग्रेजों के गुलामीकाल में भी अपने बराबर माना। आजादी के वक्त, पाकिस्तान बनाए जाने के लिए हुए जनमत संग्रह में 95 फीसदी मुसलमानों का एक तरफा समर्थन किया। फिर भी बहुसंख्यक हिंदुओं ने मुसलमानों को हिंदुस्तान छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया। जबकि कथित तौर पर घोषित पाकिस्तान में हिंदु-सिख-सिंधी परिवारों की बहन-बेटियों के साथ सामुहिक बलात्कार हुए। बलात्कार के बाद नृशंस हत्याएं कर शवों को नालियों, गलियों और कुओं में फैंक दी गईं। जो हिंदु-सिख-सिंधि बचे उनसे बहन बेटियां और जायदाद छीन ली गईं। उन्हें लरकाना, ननकाना, अटक, सरहिंद में मरने या भागने पर मजबूर किया गया। इसके बावजूद हिंदुस्तान में बहुसंख्यक हिंदुओं के वोट से बनी हुई सरकारों ने भारत में रहने वाले मुसलमानों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया।
भारत में अब तक तीन मुसलमान बने राष्ट्रपति, कई चीफ जस्टिस
फखरुद्दीन और जाकिर हुसैन राष्ट्रपति बने, शुरुआत के पांच शिक्षामंत्री मुसलमान रहे। (कलाम का नाम इन लोगों के साथ रख कर उनका अपमान नहीं करुंगा, कलाम महामहिम राष्ट्रपति ही नहीं बल्कि आदर्श भारतीय मुसलमान थे।) सेना और सिविल प्रशासनिक सेवाओं में मुसलमानों को बराबरी का मौका मिल रहा है। कई चीफ जस्टिस भी बने हैं। भारत में अभीतक पृथक मुस्लिम पर्सनल लॉ है। फिर भी मुसलमानों पर अत्याचार की मिथ्या आरोप और सांप्रदायिक साजिश।
क्या पीएम मोदी ने मुसलमानों पर प्रतिबंध लगाए?
अच्छा एक बात बताइए, क्या 2014 के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बंद कर दी गई। 2014 के बाद क्या जेएनयू, दिल्ली यूनिवर्सिटी या किसी अन्य विश्वविद्यालय, विद्यालय या शिक्षण संस्थाओं में मुसलमानों के दाखिले पर रोक लगा दी गई। क्या टीना डाबियों और फैजल शाहों की शादियों पर रोक लगाई गई। क्या 2014 के बाद से मुसलमानों का राशन बंद कर दिया गया। क्या 2014 बाद से मुसलमानों का पानी रोक दिया गया। क्या 2014 के बाद मुसलमानों का वोटिंग राइट खत्म कर दिया गया? नहीं पीएम मोदी ने मुस्लिमों के विकास की नई राह खोली हैं। तीन तलाक खत्म किया है। मदरसा एजूकेशन को कंप्यूटर से जोड़ा। अल्पसंख्यक वित्त विकास निगमों को मजबूत किया। कमजोर तबके को मुसलमानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया। रसोई गैस हो, मुफ्त राशन, कोरोना में वित्तीय सहायता, देश में गरीबों के लिए जितनी भी योजनाएं हैं उनमें हिंदू या मुस्लिम का भेद नहीं, सबको बराबरी का हक। ऐसा होने के बाद भी मुसलमानों पर अत्याचार के फर्जी ढोल क्यों पीटे जा रहे हैं? दुनिया के सामने भारत सरकार को मुसलमान विरोधी दिखाने का षडयंत्र क्यों चलाया जा रहा है?
रोहिंग्याओं पर कार्रवाई और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान क्या भारतीय मुसलमानों पर अत्याचार है?
क्या रोहिंग्याओं को नागरिकता देना मुसलमानों पर अत्याचार करना है? क्या 2 करोड़ से ज्यादा विदेशी मुसलमानों की पहचान करना मुसलमानों पर अत्याचार करना है? क्या भारत के मुसलमानों के हक पर डाका डाल रहे विदेशी मुसलमानों को वापस उनके देश भेजना, मुसलमानों पर अत्याचार है, क्या सरकारी जमीनों से कब्जा हटाना मुस्लमानों पर अत्याचार करना है? क्या कश्मीर में निर्दोष पंडितों का जनसंहारके दोषियों पर कार्रवाई मुसलमानों पर अत्याचार है? क्या बटला हाउस मुठभेड़ में आतंकियों का मारा जाना मुसलमानों पर अत्याचार है?
सड़कें बंद कर धरना देने वालों पर कार्रवाई, मुसलमानों पर एक्शन है क्या?
देश के संवैधानिक प्राविधानों के खिलाफ सड़क घेर कर बैठे लोगों पर कार्रवाई मुसलमानों पर अत्याचार है? क्या दिल्ली को-देश को दंगों की आग में झौंकने वालों पर कार्रवाई करना मुसलमानों पर अत्याचार है?भारत केमुस्लिम बाहुल्य इलाकों में पूजा पाठ करने के लिए हिंदुओं को कानूनी संरक्षण देना, मुसलमानों पर अत्याचार है?
कांग्रेसी माता और आआपा खो बैठी अपना आपा!
सियासी जमीन खो बैठी कांग्रेस की सोनिया माता और छोटी-मोटी सियासी सफलता मिलते ही आपा खो बैठे आआपा (आम आदमी पार्टी) अरविंद केजरीवाल-अमानत उल्ला खां जैसे लोग अवैध कब्जाधरी बांग्लादेशियों-रोहिंग्याओं को अपना वोटर नहीं बना रहे- भारतीय मुसलमानों के हितों पर डाला डाल रहे हैं। भारतीय मुसलमानों के दिल में नफरत ही नहीं बल्कि मुसलमानों की आने वाली पीढियों के रास्तों में नागफनी की फसल खड़ी कर रहे हैं।