कोविड-19महामारी ने न केवल दुनियाभर के लोगों के जीवन जीने के तरीके को बदल कर रख दिया है, बल्कि इससे काम के मामले में भी काफी ज्यादा बदलाव आ गया है। दरअसल, कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के बाद देश में लगे लॉकडाउन में जब सारे ऑफिस बंद हो गए थे और वर्क फ्रॉम होम शुरू किया गया तो ज्यादातर लोगों को परेशानी होने लगी थी। मगर अब काम की यही व्यवस्था कर्मचारियों को खूब रास आने लगी है। लेकिन इसके कई फायदे हैं तो कई लोगों को इससे काफी नुक्सान भी झेलना पड़ा है।
ऐसे में उत्तर जिला साइबर पुलिस ने वर्क फ्रॉम होम के नाम पर झांसा देकर ठगी में शामिल बीटेक इंजीनियर को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी तुषार कुमार को फर्जी कागजों पर सिम मुहैया कराने वाले शख्स अकरम को भी गिरफ्तार किया है। गिरोह ने डेढ़ साल में 170लोगों से ठगी की है।
डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि बुराड़ी निवासी युवती ने साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दी थी। पीड़तिा ने बताया था कि उसने फ्रीलांसरडाटकाम वेबसाइट के बारे में यूट्यूब पर देखा था। ब्रिटेन की इस कम्पनी पर काम देने वाले और करने वाले दोनों पंजीकृत रहते हैं। पीड़िता ने बताया कि उसने बोली लगाकर सबसे कम कीमत पर काम करने का ठेका हासिल किया। लेकिन काम पूरा होने के बाद आरोपी ने विभिन्न प्रकार के कर एवं शुल्क का हवाला देकर 12हजार रुपये ले लिए। फिर फोन बंद कर लिया।
पुलिस ने आरोपी से नौ फोन, 67सिम, दो फिंगर आधार बायोमिट्रिक स्कैनर और ठगी की रकम से खरीदी गई कार बरामद की है। अकरम ने बताया कि जब उसकी दुकान पर कोई सिम लेने आता था तो वह उनके फिंगर प्रिंट लेता था। वह दो बार फिंगर प्रिंट लेकर दो सिम एक्टिव करा लेता था। फिर इसी सिम को इस गिरोह को बेचता था।
टेक्निकल सर्विलांस से ठिकाना मिला
डीसीपी ने बताया कि जांच टीम ने टेक्निकल सर्विलांस से जांच शुरू की तो मोबाइल की लोकेशन उत्तराखंड के किच्छा में पाई गई। फिर 19मई को 23वर्षीय तुषार कुमार और 22मई को मोहम्मद अकरम अली को गिरफ्तार किया गया। डीसीपी ने बताया कि बरेली निवासी अकरम पांच सौ रुपये में पहले से सक्रिय सिम को तुषार को बेचता था।
ये सावधानियां बरतें
-अगर नौकरी के बदले कोई रुपये मांगे तो सतर्क हो जाएं।
-ऐसे संदिग्ध मोबाइल नम्बर और बैंक खातों के बारे में तुरंत पुलिस को सूचना दें।
-काम करने से पहले कम्पनी के बारे में खोजबीन कर लें।