करीब तीन साल से दुनिया भर में इस बात पर बहस होती रही कि कोविड (covid-19) महामारी की आखिर वजह क्या थी। विवाद इस बात पर होता रहा कि कोरोना वायरस प्रयोगशाला में रिसाव के बाद फैला या यह कोई प्राकृतिक प्रकोप था। इस संबंध में कई शोधकर्ताओं ने तमाम प्रयास किये लेकिन चीन की तरफ से पैदा की गई रुकावटों के चलते सही तथ्य सामने नहीं आ सका। लेकिन अब नई रिपोर्ट ने चीन के असली चेहरे को उजागर कर दिया है। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी के शोधकर्ता ने दावा किया कि चीन द्वारा कोरोना वायरस को एक बॉयोवेपन यानी कि जैविक हथियार के तौर पर तैयार किया गया था। शोधकर्ता ने दावा किया कि उसके साथी ने वायरस के चार अलग-अलग स्ट्रेन तैयार किये थे ताकि पता लगाया जा सके कि कौन सा वायरस तेजी से फैल सकता है।
चाओ शाओ नाम के शोधकर्ता ने इंटरनेशनल प्रेस एसोसिएशन के सदस्य जेनिफर जेंग के साथ हुई एक्सूक्लूसिव इंटरव्यू में हैरान कर देने वाले दावे किये। 26 मिनट के इस खास इंटरव्यू में चाओ शाओ ने बताया कि कैसे दूसरे शोधकर्ता शॉन चाओ ने स्वीकार किया कि उसके सीनियन ने उसे चार अलग-अलग स्ट्रेन दिये थे और उनकी टेस्टिंग करने की बात कही थी। ताकि पता लगाया जा सके कि कौन सा स्ट्रेन जीवों में तेजी से फैल सकता है और किसमें इतनी क्षमता है कि दूसरे जीवों को भी प्रभावित कर सकता है।
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यही नहीं दावा किया कि वुहान में 2019 के मिलिट्री वर्ल्ड गेम्स के दौरान कई सहयोगी गायब हो गए थे। हालांकि बाद में उनमें से एक ने खुलासा किया कि उन्होंने एथलीटों के स्वास्थ्य और हाइजीन की जांच करने के लिए होटल भेजा गया था। हालांकि हाइजीन की जांच के लिए वॉयरोलॉजिस्ट की जरूरत नहीं है। चाओ शान ने शक जताया कि लापता साथियों को वायरस फैलाने के लिए होटल भेजा गया था। चाओ शाओ ने इंटरव्यू में बताया, इसके अलावा अप्रैल 2020 में चाओ शान ने कहा कि उसे उइगर कैदियों की जांच के लिए जिनयांग भेजा गया था, जो जल्द ही रिहा होने थे, उसने जोर देकर कहा कि उसे वहां पर या तो वायरस फैलाने के लिए भेजा गया या फिर यह पता लगाने के लिए भेजा गया कि वायरल मनुष्यों पर काम कैसे करता है।