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China को बेनक़ाब करने वाला सनसनीखेज़ दावा! वुहान की लैब में ही सेना ने बनाया था Corona Virus

करीब तीन साल से दुनिया भर में इस बात पर बहस होती रही कि कोविड (Corona Virus) महामारी की आखिर वजह क्या थी। विवाद इस बात पर होता रहा कि कोरोना वायरस प्रयोगशाला में रिसाव के बाद फैला या यह कोई प्राकृतिक प्रकोप था। इस संबंध में कई शोधकर्ताओं ने तमाम प्रयास किये लेकिन चीन की तरफ से पैदा की गई रुकावटों के चलते सही तथ्य सामने नहीं आ सका। लेकिन अब नई रिपोर्ट ने चीन के असली चेहरे को उजागर कर दिया है। जांचकर्ताओं के मुताबिक जिस समय दुनिया कोविड-19 की चपेट में आई उससे ठीक पहले चीनी वैज्ञानिक वुहान की लैब में सबसे खतरनाक कोरोना वायरस का जानलेवा म्‍यूटेंट स्‍ट्रेन तैयार करने में लगे हुए थे।

गुपचुप खतरनाक को‍रोना वायरस पर रिसर्च

द टाइम्‍स ने अमेरिकी जांचकर्ताओं के हवाले से जो कुछ लिखा है, उसने अब हर किसी के शक को यकीन में बदलने का काम किया है। हर कोई मान रहा था कि कोविड-19 एक प्राकृतिक नहीं बल्कि लैब में बना वायरस है। एक जांचकर्ता की मानें तो वैज्ञानिक एक ऐसे वायरस (Corona Virus) को तैयार करने में लगे थे जिसे जैविक हथियार की तरह प्रयोग किया जा सके। जांचकर्ताओं का मानना है कि जैसे ही महामारी शुरू हुई थी, उससे पहले वैज्ञानिक चीनी सेना के साथ इस पर काम कर रहे थे। वे सबसे खतरनाक कोरोना वायरस पर सीक्रेट एक्‍सपेरीमेंट को अंजाम देने में लगे थे। इस वजह से वुहान लैब में रिसाव हुआ था।

महामारी फैलने से पहले सर्दियों में चल रही थी वैक्‍सीन पर रिसर्च

ऐसा माना जा रहा है कि महामारी Corona Virus) फैलने से पहले सर्दियों में वैक्‍सीन पर रिसर्च चल रही थी जो कोविड-19 वैक्‍सीनेशन से जुड़ी थी। ब्रिटिश और अमेरिकी मीडिया में इस बात की जानकारी विस्‍तार से दी गई है कि साल 2019 के अंत में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में दरअसल क्‍या हो रहा था। अमेरिकी जांचकर्ताओं की एक टीम ने टॉप सीक्रेट इंटरसेप्‍टेड कम्‍यूनिकेशन और रिसर्च की मदद से अपनी जांच को पूरा किया है।

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उनका कहना है कि जो कुछ भी हुआ उसके बारे में कोई भी काम पर कोई भी जानकारी पब्लिश नहीं की गई है। ऐसा इसलिए था क्‍योंकि इस पूरे काम को चीनी सेना के रिसर्चर्स के साथ मिलकर किया जा रहा था। चीनी मिलिट्री की तरफ से ही इन प्रोजेक्‍ट्स को फंड मिल रहा था। जो सबूत जांचकर्ताओं को मिले हैं, उनसे साबित होता है कि प्रयोगों पर काम कर रहे वैज्ञानिकों को नवंबर 2019 के अंत में कोविड-19 जैसे लक्षण नजर आने के बाद अस्पताल ले जाया गया था। इसके ठीक बाद ही पश्चिमी देशों में इस महामारी ने दस्‍तक दी थी। इस पूरी कोशिश में इससे जुड़े एक व्‍यक्ति की मौत भी हो गई थी।