यूक्रन और रूसी जंग में तुर्की ड्रोन के रौद्र रूप को देख कर भारतीय आर्म्ड फोर्सेस को शक हो गया था कि पाकिस्तान तुर्की से इन ड्रोन्स को हासिल करने की कोशिश करेगा। क्योंकि पाकिस्तान के सामने एक ही चेतावनी है वो है भारत। पाकिस्तान भारतीय फौजों पर यूक्रेन की तरह हमले करना चाहता है। इससे एक बात तो तय हो गई की पाकिस्तान ने मान लिया है कि चीन का हाथ परमाणु बमों का साथ उसे भारत के हाथों हार से नहीं बचा सकता। इसलिए उसे जंग के हालात में यूक्रेनी रणनीति अपनानी ही पड़ेगी। भारत का यह शक सही साबित हो रहा है। पाकिस्तान की ड्रोन यूनिट इस्तांबुल रवाना हो चुकी है। यह यूनिट तुर्की के ड्रोन TB-2 को हेंडल करने और दुश्मन यानी भारतीय टैंक और तोपखाने पर हमले की ट्रेनिंग लेंगे।
पाकिस्तान भले ही तुर्की के TB-2 ड्रोन खरीद ले अपनी आर्मी को TB-2 ड्रोन की चलाने की ट्रेनिंग दिलवादे, लेकिन बाप, बाप ही होता है। भारत ने TB-2 ड्रोन का किलर ड्रोन लगभग तैयार कर लिया है। इन ड्रोन्स का खुफिया तौर पर टेस्ट एक्सपेरिमेंट शुरू भी हो गए हैं। इसके अलावा पाकिस्तान जिन ड्रोन्स के बारे में सोच भी नहीं सकता उन ड्रोन्स को इंडियन आर्मी ही नहीं बल्कि नेवी में इंडक्ट भी किया जाने वाला है। इन ड्रोन्स पर 2015 से काम चल रहा है।
इन ड्रोन्स को भी ब्लैक हॉक कहा जाता है। यह ड्रोन्स सर्विलांस के लिए सबसे परफैक्ट ड्रोन्स हैं। तुर्की के TB-2 ड्रोन्स को तो ट्रैक किया जा सकता है लेकिन भारत जिन ब्लैक हॉक को इंडक्ट करने जा रहा है इन्हें ट्रैक किया जाना ना मुमकिन है। ये ड्रोन दुश्मन के बेहद नजदीक पहुंच कर उसकी सटीक जानकरी अपने कंट्रोल रूम को भेजते हैं। यानी दुश्मन की रणनीति संख्या और हथियारों की सारी जानकारी कुछ ही पलों में मिल जाती है और दुश्मन को खबर भी नहीं होती।
पाकिस्तान की आर्मी और नेवी भी तुर्की से इन यूएवी को लेने में इंटरेस्ट दिखा रही है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के दौरान फरवरी में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें यूक्रेन आर्म्ड फोर्स के कमांडर एक एरियल फुटेज दिखा रहे थे। इसमें रूस का मिलिट्री काफिला खेरसन की तरफ बढ़ता दिख रहा था।
वीडियो में दिखा कि टारगेटिंग सिस्टम को लॉक किया गया और काफिले के बीच में चल रहे एक वीइकल को निशाना बनाया। वीइकल के परखच्चे उड़ गए और चारों तरफ धुंए का गुबार दिखा। ये अटैक यूक्रेन ने तुर्की से लिए TB-2 यूएवी से किया था। यूक्रेन ने TB-2 यूएवी से रूस के कई टैंकों को ध्वस्त किया।
TB-2 यूएवी प्रिसिशन एयरस्ट्राइक के लिए इस्तेमाल होता है। ये लेजर गाइडेड बॉम कैरी करता है। बॉम मिड एयर में ही अपनी ट्रेजेक्टरी यानी अपना रास्ता अडजेस्ट कर सकता है। यह एकदम सटीक निशाना लगाता है। यह इस तरह के अमेरिकी और इजरायली ड्रोन के मुकाबले काफी सस्ता है। तुर्की TB-2 यूएवी को 13 देशों को बेच चुका है। 2020 में अजरबेजान और अरमीनिया के बीच लड़ाई में भी TB-2 यूएवी का इस्तेमाल देखा गया था। तब बड़ी संख्या में ड्रोन का इस्तेमाल हुआ।
पाकिस्तान के चिंता की यह बात भी है कि भारत के विदेशों स्थित रिमोट सेंसिंग सेंटर इंडियन और कजाखिस्तान में मिलिटरी बेस है। पाकिस्तान के आसमान-जमीन और समुद्र में होने वाली हलचल की जानकारी भारत को मिल रही है। भारत पाकिस्तान पर कई ओर से हमला कर सकता है। ऐसे में तुर्की के ड्रोन कहां-कहां तैनात किए जाएंगे। कहा जाता है तुर्की के ड्रोन 5000 मीटर दूर से टारगेट को ध्वस्त करते हैं। भारत के पास ऐसी टेक्नोलॉजी आ चुकी है तो 12 से 15 मीटर के दायरे में पाए जाने वाले किसी भी यूएवी को डिटेक्ट कर सकती है और उसे ध्वस्त कर सकती है।