केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से देश में तेजी से जनता के हित में काम हो रहा है। जम्मू-कश्मीर मोदी सरकार के आने से पहले जस का तस था लेकिन, 2014के बाद यहां पर कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए जिसके बाद से विकात तेजी से हो रहा है। आज कश्मीरियों के हाथों में बंदूक नहीं कलम और किताब है। घाटी में बदलाव का बयार का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कश्मीरी मुस्लिम युवा अमरानथा यात्रियों को गीता भेंट कर स्वागत करेंगे।
इतना ही कश्मीरी मुस्लिम युवाओं का कहना है कि, बनारस में काशी भगवान शिव की नगरी है तो कश्मीर घाटी भोले बाबा का हिमालय पर घर है। भगवान शिव को कश्मीरियत का अभिन्न हिस्सा मानने वाले कश्मीरी मुस्लिम युवाओं का समूह अमरनाथ यात्रियों का अनोखे अंदाज में स्वागत करेगा। इन युवाओं ने फूल मालाएं, राष्ट्रीय ध्वज, शिव पार्वती की तस्वीरें और गीता की प्रतियों की व्यवस्था की है। इसके साथ ही, कश्मीर घाटी में प्रवेश के दौरान अमरनाथ यात्रियों पर पुष्पवर्षा की जाएगी। उन्हें फूल मालाएं पहनाकर पवित्र गीता भेंट की जाएगी। स्वागत में जुटे इन युवाओं का नेतृत्व कर रहे जावेद बेग का कहना है कि श्री अमरनाथ यात्रा भारत के उस विचार को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है, जिसमें सभी धर्मों को एक समान माना गया है।
कश्मीर में शैव दर्शन, सूफी संतों, ऋषि परंपरा और कश्मीरी संस्कृति के इतिहास पर शोध कर रहे जावेद बेग के अनुसार कोई भी कश्मीरी भगवान शिव से खुद को अलग करके नहीं देख सकता। धर्म में बदलाव आए हैं लेकिन हमारी संस्कृति वही है। उनके अलावा आसिफ मीर, यावर हुसैन बेग, मकबूल अहमद, तारिक अहमद भी अमरनाथ यात्रा को यादगार बनाने में लगे हैं। इन लोगों का कहना है कि, शैव दर्शन कश्मीर की विरासत है। अमरनाथ यात्रा जैसे मौके पर वह से बाबा बर्फानी के भक्तों के साथ साझा करना चाहते हैं। प्रशासन से अनुमति मिल गई है। सुबह ग्यारह बजे यात्रियों का स्वागत करेंगे।