भारत द्वारा लिए गए फैसलों का असर न सिर्फ देश पर बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ता है। इसका अंदाजा इसी से लगा ले कि हाल ही में जब भारत सरकार ने गेहूं बैन किया तो पूरी दुनिया हिल गई। अमेरिका से लेकर दुनिया के बड़े देश तक भारत सरकार से कहने लगे कि वो अपने फैसलों में कुछ बदलाव करे क्योंकि, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है। अब इस फैसले के बाद भारत सरकार नए एक और बड़ा फैसला लिया है जिसके बाद फिर से पूरी दुनिया में हाहाकार मच सकता है।
दरअसल, रूस और यूक्रेन जंग का असर कई चीजों पर पड़ा है जिसके चलते इनकी कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। गेहूं भी उन्हीं में से एक है। भारत सरकार ने गेहूं के बाद आटा को लेकर फैसला लिया है। देश में आटा की बढ़ती कीमतों और निर्यात की गुणवत्ता के चलते सरकार ने गहूं के आटे के निर्यात पर सख्ती बढ़ाने का फैसला लिया है। यह जानकारी विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना से दी गई है। इसके मुताबिक गेहूं के आटे का निर्यात मुक्त रहेगा लेकिन यह अंतर-मंत्रालयी समिति की सिफारिश के अधीन होगा। इसके तहत अब सभी निर्यातकों को शिपमेंट से पहले गेहूं निर्यात पर अंतर-मंत्रालयी समिति से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा। पहले इस तरह के नियम नहीं थे।
देखें इसकी वजह
नोटिफिकेशन में लिखा गया है कि, गेहूं और गेहूं के आटे में वैश्विक आपूर्ति में व्यवधान ने कई नए प्लेयर्स मार्केट में आ गए हैं। इस वजह से कीमतों में उतार-चढ़ाव और गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों पर गौर करने की जरूरत हो गई है। भारत से गेहूं के आटे के निर्यात की गुणवत्ता बनाए रखना जरूरी है। इसके अलावा कीमतों पर भी काबू रखना अनिवार्य है। इसके आगे लिखा गया है कि, गेहूं के आटे की निर्यात नीति मुक्त रहती है और इस पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है। यह प्रावधान मैदा और अन्य तरह के आटों के निर्यात पर भी लागू होगा। वहीं, यह फैसला 12 जुलाई से प्रभावी होने वाला है।