श्री अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है,क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। इस तीर्थ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। हिन्दू माह अनुसार अमरनाथ यात्रा आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होती है और यह पूरे सावन महीने तक चलती है। मान्यता यह भी है कि भगवान शिव इस गुफा में पहले पहल श्रावण मास की पूर्णिमा को आए थे, इसलिए उस दिन को अमरनाथ की यात्रा को विशेष महत्व मिला। रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन ही छड़ी मुबारक भी गुफा में बने हिमशिवलिंग के पास स्थापित कर दी जाती है।
अमरनाथ यात्रा क्या है?
अमरनाथ गुफा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है। श्रीनगर से तकरीबन 145किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अमरनाथ गुफा जो हिमालय पर्वत श्रेणियों में बसी हुई है। समुद्र तल से 3,978मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह गुफा 160फुट लंबी,100फुट चौड़ी और काफी ऊंची है। इस पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए होने वाली अमरनाथ पिछले महीने 30जून से शुरू हो गई है। गौरतलब है, कोरोना महामारी के चलते अमरनाथ यात्रा पिछले दो साल से स्थगित थी। 30जून से शुरू हुई यह यात्रा 11अगस्त तक चलेगी। करीब 43दिन की इस यात्रा के दौरान 7से 8लाख श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन करेंगे।
अमरनाथ यात्रा का महत्व?
अमरनाथ यात्रा के दौरान बाबा बर्फानी के दर्शन का महत्व केवल हिम शिवलिंग से ही नहीं बल्कि यहां भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं। यही नहीं कहा जाता है बाबा अमरनाथ के दर्शन काशी से 10गुना, प्रयागराज से 100 गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना पुण्य देने वाला तीर्थस्थल में से एक है। ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करने से 23तीर्थों के पुण्य का लाभ मिल जाता है।
किस तरह से मिली बाबा बर्फानी की गुफा
अमरनाथ गुफा की खोज एक गड़रिए द्वारा की गई थी। इस यही गुफा के पास जानवर चराते हुए इस गडरिए को एक साधु मिले। इस साधु ने गडरिए को कोयले से भरा एक बैग दिया। गडरिए ने घर जाकर जब उस बैग को खोला तो उसमें सोने की मुहरें थीं। ये चमत्कार देख जब गडरिया फिर से गुफा के पास पहुंचा तो वहां उसे वो साधु नहीं दिखे। गुफा के अंदर जाने पर गडरिए ने यहां बर्फ से बना शिवलिंग देखा। इसके बाद से ही इस गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हुई।
भोलेनाथ ने माता पार्वती को बताया था…
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, बाबा बफार्नी की इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य भी बताया जाता है। तब देवी पार्वती के साथ ही इस रहस्य को तोता और दो कबूतरों ने भी सुन लिया था। ये शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए। वहीं, कहा जाता है कि गुफा में आज भी श्रद्धालुओं को कबूतरों का वो जोड़ा दिखाई देता है, जिसने अमरत्व का रहस्य सुन लिया था।
बताते चले, बीती रोज जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के दौरान गुफा के पास बादल फटने से 13 लोगों की मौत और 48 के घायल होने की पुष्टि हो गई है। घायलों को इलाज के लिए गुफा के पास बने बेस अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। सेना, एनडीआरएफ, जम्मू कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों के जवान लापता लोगो की तलाश कर रहे हैं।