देश में जिस तरह से एक के बाद एक राज्यों में हिंसक प्रदर्शन में शामिल लोगों की संपत्तियों पर बुलडोजर चल रहा है, उससे आरोपियों की कमर टूटती नजर आ रही है। यूपी समेत कई राज्य सरकारों ने प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने और अवैध निर्माणों को ढाहने के लिए लगातार बुलडोजर चलवा रही है। जिसके बाद से आरोपियों में खलबली मची हुई है। वहीं अब इस मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने भी दखल देने से इंकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार
उत्तर प्रदेश में लगातार बुलडोजर द्वारा आरोपियों पर कार्रवाई की जा रही है। जिसके बाद से यूपी सरकार बुलडोजर कार्रवाई को लेकर विपक्ष और आलोचकों के निशाने पर आ गई है। इसके साथ ही बुलडोजर कार्रवाई पर यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिंद के द्वारा दाखिल याचिका के मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए यूपी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर कोई अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया है। न्यायामूर्ति पीआर गवई और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि वो अवैध निर्माण हटाने की प्रक्रिया में सामान्य प्रतिबंध का आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। इससे लोकल बॉडी के अधिकारों में कटौती मानी जाएगी। वहीं इस मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर मामले में दाखिल आवेदन को नोटिस जारी कर सभी पक्षों को आठ अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही गुजरात और मध्य प्रदेश सरकार के अलावा केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया गया है। आपको बता दे कि पहले केवल उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी की गई थी। लेकिन जिस तरह के एक के बाद एक राज्यों में बुलडोजर की कार्रवाई जारी है, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट को कई राज्यों को नोटिस जारी करना पड़ा। ये नोटिस जमीयत उलेमा –ए-हिंद की याचिका पर जारी की गई थी।
दोनों पक्षों ने रखी अपनी बात
जमीयत उलेमा –ए-हिंद की ओर से सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदेश में इस तरह से कार्रवाई चलना ठीक नहीं होगी। इस तरह की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट को जल्द से जल्द रोक लगानी चाहिए। भारत देश कानून से चलता है, ये कार्रवाई कानून के खिलाफ है। क्योंकि सरकारे जिस तरह से आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलवा रही है, ये कानून के अंतर्गत आता है। वहीं यूपी सरकार के वकील एसजी तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जवाब दिया है कि यह कार्रवाई कानून के दायरे में रह कर की जा रही है। इसमें किसी भी व्यक्ति, समाज को टारगेट नहीं किया जा रहा है। यह कार्रवाई दंगों से पहले भी जारी थी। यूपी सरकार केवल सरकारी जमीनों को केवल अवैध निर्माण से रोकने के लिए की जा रही है। आपको बता दें कि दिल्ली की जहांगीरपुरी हिंसा, खरगोन हिंसा और फिर यूपी में नूपुर शर्मा के कथित विवादित टिप्पणी को लेकर भड़की हिंसा के बाद इन राज्यों में बुलडोजर के जरिए आरोपियों के घरों में बने अवैध निर्माण को ढ़हा दिया गया था, जिसपर देश में खासा सियासी बवाल भी हुआ था।