कई महीनों से भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका की हालत इतनी खराब हो गई है कि यहां के जनता को जरूरत की चीजें तक नहीं मिल पा रही है। खाने पीने की चीजें खरीदने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। श्रीलंका को इस हाल में करने वाला कोई नहीं बल्कि चीन है। ड्रैगन ने अपने कर्ज जाल में श्रीलंका को ऐसा फंसाया कि वो पूरी तरह ही बर्बाद हो गया। ऐसे में पूरी दुनिया में अगर कोई देश सबसे ज्यादा इस देश की मदद कर रहा है तो वो है भारत। इंडिया लगातार अपने पड़ोसी देश श्रीलंका की मदद कर रहा है। अब एक बार फिर से इंडिया ने आश्वस्त किया है कि वह देश के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक बहाली में सहयोग करता रहेगा।
श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को एक मुलाकात में यह आश्वासन दिया। दोनों के बीच यह अहम मुलाकात ऐसे समय हुई जब एक दिन पहले अभयवर्धने ने गोटबाया राजपक्षे का राष्ट्रपति पद से इस्तीफा मंजूर कर लिया था। भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट कर कहा है कि, बैठक में उच्चायुक्त बागले ने खासतौर से ऐसे अहम मोड़ पर लोकतंत्र तथा संवैधानिक ढांचे को बनाए रखने में संसद की भूमिका की सराहना की। उन्हें यह बताया कि हम श्रीलंका के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक बहाली में सहयोग करते रहेंगे।
खास बात यह है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश श्रीलंका सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बदा दें कि, अर्थव्यवस्था को संभालने में सरकार की नाकामी के चलते श्रीलंका में तेज हो रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते पिछले दिनों बुधवार को गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए। सिंगापुर से गोटबाया की ओर से भेजे गए त्यागपत्र को संसद के 13 मिनट के सत्र के दौरान पढ़ा गया। राजपक्षे (73) ने अपने त्यागपत्र में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के बदतर होने के लिए कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन को जिम्मेदार बताया। त्यागपत्र में उन्होंने लिखा कि, मैंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहूंगा।