श्रीलंका में छाए आर्थिक और राजनीतिक संकट के बदल कम होते नहीं नजर आ रहे है। अब तो नौबत यह आ गई है वहां पर फिर से आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी है। कंगाल हो चुके श्रीलंका में पहली बार राजपक्षे सरकार ने 1अप्रैल को आपातकाल लगाया था, फिर 5अप्रैल को आपातकाल हटा दिया गया था। 6मई को 20मई तक दोबारा आपातकाल भी लगाया गया। 13जुलाई 2022को तीसरी बार इमरजेंसी घोषित की गई। वहीं फिर से श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी है। श्रीलंका की स्थिति पर नजदीक से निगाह रख रहे भारत के विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना ्है कि श्रीलंका के सभी पक्षों से सम्पर्क किया जा रहा है। श्रीलंका की जनता की भलाई के लिए भारत उचित कदम उठाने की रणनीति पर चल रहा है।
उधर श्रीलंका में चौथी बार आपातकाल की घोषणा पर रानिल विक्रम सिंघे ने कहा कि देश की हालत लगातार खराब हो रही है, जिससे मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ रहा है। देश में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति पद को समाप्त करके व्यवस्था में बदलाव लाने तक संघर्ष को जारी रखने की बात कह रहे हैं। पिछले कई दिनों से श्रीलंका में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन में घुसे थे। जिसके बाद श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था। उसके बाद राजपक्षे ने अपना इस्तीफा दिया था।
20 जुलाई को नए राष्ट्रपति का चुनाव
आपको बता दें कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कुछ दिनों पहले एलान किया था कि वो 13जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि उनके देश से भाग जाने के बाद अब उनके इस्तीफे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इसी क्रम में अब 20जुलाई को नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है। वहीं रानिल विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्यभार संभाल रहे है।
श्रीलंका के पास नहीं है विदेशी मुद्रा
श्रीलंका में लगातार आर्थिक संकट बढ़ता ही जा रही है, अब तो उसके पास सबसे जरूरी वस्तुओं के आयात के लिए भी विदेशी मुद्रा समाप्त हो गई है। जिससे वहां पर रहने वाले 22 मिलियन लोगों के सामने लगातार गंभीर कठिनाइयां देखने को मिल रही हैं। जबकि देश अप्रैल में ही अपने 51 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज के भुगतान में चूक गया और अब संभावित राहत के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ लगातार बातचीत कर रहा है।