भारत सरकार का हर घर तिरंगा अभियान अन्य राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में भी जोर-शोर से चल रहा है और दिन-ब-दिन विभिन्न स्थानों पर तिरंगा रैली निकाली जा रही है। ऐसा पहली बार हुआ है जब जम्मू-कश्मीर में लोग इस अनोखे अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जनता और स्कूली बच्चों के सामने राजनीतिक नेता और वरिष्ठ अधिकारी ही तिरंगा फहराते। इस वर्ष जब भारत स्वतंत्रता के 75वर्ष मना रहा है, भारत सरकार के 'हर घर तिरंगा' अभियान में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का उत्साह न केवल विभिन्न स्तरों पर बच्चों और छात्रों में बल्कि प्रत्येक नागरिक के बीच भी देखा जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर के हर घर में लगरायेगा तिरंगा
जम्मू कश्मीर में इस अवसर का अधिक महत्व है क्योंकि, इससे पहले इस तरह से ऐसा अभियानों में लोग इस तरह हिस्सा नहीं लेते थे। वहीं, जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बने तीन साल पूरे हो गए हैं। 5अगस्त, 2019को जम्मू और कश्मीर की राज्य की स्थिति को समाप्त कर दिया गया था और इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के मुताबिक 13से 15अगस्त 2022तक सभी इमारतों और घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक तिरंगा सुनिश्चित करने की तैयारी पहले से ही चल रही है। हर घर में लहराएगा।
प्रशासन पहले से ही है तैयार
उपायुक्त श्रीनगर, मुहम्मद एजाज असद ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए गतिविधियों की योजना और तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए हाल ही में एक बैठक की अध्यक्षता की। जिला आयुक्त ने कहा कि 11अगस्त से 16अगस्त 2022तक आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों में देशभक्ति की भावना जगाना और स्वतंत्रता के प्रतीकों के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देना है। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पहले से सुनिश्चित करें। इस अवसर पर डीसी ने सभी विभागों के जिलाध्यक्षों को राष्ट्रीय ध्वज के लिए विभागवार आवेदन पत्र जिला तिरंगा केंद्र में जमा करने को कहा। सभी प्रतिभागियों को उचित वितरण के लिए राष्ट्रीय ध्वज एकत्र करने और संग्रहीत करने के लिए एक सी कार्यालय स्थापित किया गया है। उन्होंने कर्मचारियों से संबंधित खाता शीर्षों को जमा करने का भी आग्रह किया। बैठक के दौरान, घटना के सुचारू रूप से अवलोकन के लिए क्रमशः आवासीय, संस्थागत और वाहन स्रोतों के लिए नोडल अधिकारी भी नामित किए गए थे। अधिकारियों को पंचायत स्तर पर कार्यक्रम में पीआरआई की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया जबकि अन्य अधिकारियों को भी कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए। नियोजित गतिविधि योजना के अनुसार व्यवस्थित करें।
श्रीनगर, बडगाम और गांदरबल में फहराया जाएगा 1लाख तिरंगा
भाजपा के वरिष्ठ नेता और वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. डेराखशन अंद्राबी के अनुसार, भाजपा नेतृत्व और सरकार का श्रीनगर, बडगाम और गांदरबल के तीन जिलों में एक लाख तिरंगा फहराने का लक्ष्य है। इसके साथ ही मध्य कश्मीर के तीन जिलों में कम से कम 200,000तिरंगा फहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन झंडों का वितरण उपायुक्तों और डाकघरों सहित विभिन्न स्तरों पर जनता को किया जा रहा है। उन्होंने इस संबंध में कहा कि लोग उत्साहित हैं और हमें यकीन है कि हरघर न केवल मध्य कश्मीर में बल्कि घाटी के अन्य हिस्सों में भी झंडा फहराएगा। वह मध्य कश्मीर के जिलों के प्रभारी हैं। उन्होंने कहा कि लोग अपने पैसों से तिरंगा खरीदने के लिए आगे आ रहे हैं। इसकी न्यूनतम कीमत 20रुपये निर्धारित की गई है, जबकि लोग इससे अधिक की पेशकश करने को तैयार हैं, और उनमें से कई झंडे के सम्मान में अधिक पैसा खर्च कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि ऐसे लोग हैं जो झंडे के लिए 1,000रुपये से 2,000रुपये देने को तैयार हैं, ताकि 'हर घर तिरंगा' अभियान के तहत तिरंगा अधिक से अधिक घरों तक पहुंच सके।
कारगिल विजय दिवस के मौके पर भी तिरंगे से रंग गया था लालचौच
जुलाई के आखिरी महीने में कश्मीर घाटी का ऐतिहासिक लालचौक तिरंगा के रंग में नजर आया। भारतीय जनता युवा मोर्चा के बैनर तले जमा हुए बाइकर्स ने कारगिल विजय दिवस मनाने के लिए तिरंगा बाइक रैली निकाली। उस दिन कश्मीर में राष्ट्रवाद का संदेश दुनिया तक पहुंचाने के लिए बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं समेत बड़ी संख्या में कश्मीरी घाटी के अलग-अलग हिस्सों से हाथ में तिरंगा लेकर उन्हें विदा करने आए थे। बीच में घंटाघर पर तिरंगा था और नीचे सड़क पर उमड़ी भीड़ भी हाथों में तिरंगा लेकर खड़ी थी। तिरंगा थामे चेहरों पर कोई जबरदस्ती या डर नहीं था, बल्कि कश्मीर में शांति, लोकतंत्र और समृद्धि की बहाली की घोषणा करने वाले राष्ट्रवाद की भावना थी। न केवल कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से बल्कि जम्मू और देश के अन्य राज्यों से भी लगभग 400बाइकर्स तिरंगा लेकर चौक पर जमा हुए।
पीएम मोदी के इस अभियान में कश्मीरी बढ़ चढ़ कर ले रहे हिस्सा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में भी लोगों से हर घर में तिरंगा आंदोलन को मजबूत करने की अपील की। नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्र भारत के झंडे का सपना देखने वालों के अद्वितीय साहस और प्रयासों को भी याद किया। उन्होंने इतिहास के कुछ दिलचस्प अंश भी साझा किए हैं जिनमें तिरंगा समिति का विवरण और पंडित नेहरू द्वारा फहराया गया पहला तिरंगा शामिल है। उन्होंने कहा कि 22जुलाई का इतिहास में विशेष महत्व है क्योंकि 1947में उसी दिन राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया था। इस संबंध में उन्होंने ट्वीट किया, "इस वर्ष, जब हम स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का जश्न मनाएंगे तो, आइए हम प्रत्येक घर में तिरंगा आंदोलन को मजबूत करें। 13से 15अगस्त के बीच तिरंगा फहराएं या अपने घरों में प्रदर्शित करें। यह आंदोलन राष्ट्रीय ध्वज के साथ हमारे संबंध को और गहरा करेगा।
जम्मू-कश्मीर में हर ओर तिरंगा, घोड़ों पर भी निकाली गई थी तिरंगा रैली
इस अभियान को लेकर जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। 8 अगस्त को बैज हायर सेकेंडरी स्कूल उरी के छात्रों ने उरी की सीमावर्ती तहसील में एक रैली निकाली, जबकि खत पीर पंजाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी विभिन्न तिरंगा रैलियां निकाली गईं। भाजपा जम्मू-कश्मीर महासचिव विबुध गुप्ता ने पुंछ के हुड मातरका चोकंदाबाद में तिरंगा यात्रा निकाली, जिसमें स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। घुड़सवारों ने इस अभियान में भाग लेने के लिए घोड़ों पर तिरंगा रैली भी निकाली, जिसे बड़ी संख्या में दर्शकों ने देखा। कर्ण की सीमावर्ती तहसील में स्कूली बच्चों ने तिरंगा रैली भी आयोजित की, इस दौरान वहां के लोगों ने भी रैली में भाग लिया। पूरे जम्मू-कश्मीर से ऐसी तिरंगा रैलियों की खबरें मिल रही हैं, जिनमें हर कोई बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के दौरान जम्मू-कश्मीर के लोगों में ऐसा उत्साह इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने 5 अगस्त 2019 के निर्णय को न केवल स्वीकार किया है, बल्कि इसका जश्न भी मना रहे हैं। हर घर तिरंगा अभियान में इस तरह का उत्साह 5 अगस्त के फैसले पर सवाल उठा रहे नेताओं के मुंह पर तमाचा भी है।
लेखक इम्तियाज अहमद खान