दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश भारत विश्व के लिए कई मायनों में खास महत्व रखता है। खासकर अर्थव्यवस्था के लिए तो भारतीय बाजार विश्व के लिए काफी मायने रखते हैं। यहां के मार्केट से तय होता है कि कौन सी कंपनी चलने वाली है और कौन सी नहीं। आज दुनिया में कोई नया वाहन कंपनी लॉन्च हो, स्मार्टफोन लगभग हर एक क्षेत्र के लिए भारतीय मार्केट बेहद अहम भूमिक निभाती हैं। विश्व कि अर्थव्यवस्था के साथ ही वैश्विक शांति के लिए भी भारत की अहमीयत खास है। आज इंडिया दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हर एक क्षेत्र में तेजी से कदम रख रहा है। खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से तो भारत लगातार प्रगती की मार्ग पर है। चाहे अमेरिका हो या फिर रूस, फ्रांस, जर्मनी जैसे बड़े देश हर कोई इंडिया के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने पर लगा है। अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन का तो यह तक मानना है कि, वैश्विक शांति और अर्थव्यवस्था के लिए भारत-US संबंध बेहद जरूरी है।
जो बाइडना का मानना है कि, भारत-अमेरिका संबंध, वैश्विक शांति, स्थिरता और आर्थिक लचीलेपन के लिए आवश्यक है। बाइडेन की शीर्ष व्यापार वार्ताकार कैथरीन ताइ ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि मुश्किल मुद्दों पर काम करने के लिए दोनों देश अब बेहतर स्थिति में हैं। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) ताइ ने सोमवार को भारत के स्वतंत्रता दिवस पर इंडिया हाउस में अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि, राष्ट्रपति बाइडन का मानना है कि हमारे दो महान लोकतंत्रों के बीच संबंध वैश्विक शांति, स्थिरता और आर्थिक लचीलेपन के लिए जरूरी है।
कैथरीन ताइ पिछले साल भारत आ चुकी हैं। अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्होंने देश की जीवंत संस्कृति का वास्तविक रूप देखा था। उनका कहना है कि, हालांकि मैं हमेशा दुनियाभर में हमारे महत्वपूर्ण व्यापार साझेदारों के बीच तुलना करने से हमेशा बचती हूं लेकिन मैं यह मानूंगी कि भारतीय आतिथ्य सत्कार का मुकाबला करना मुश्किल है। भारत और अमेरिका अपने मतभेदों के बावजूद 21वीं सदी में आगे बढ़ते हुए एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हमारे नेता एक साथ मिलकर उन चुनौतियों से निपटने के लिए स्पष्ट रूप से पहले से ज्यादा प्रतिबद्ध हैं और मुझे इसका हिस्सा बनकर खुशी है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, वस्तु एवं सेवाओं में हमारे द्विपक्षीय तेजी से बढ़ रहा है और 2021 में यह 160 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। साथ ही मुश्किल मुद्दों पर काम करने की हमारी क्षमता पहले के मुकाबले कहीं अधिक बेहत है।