गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन से विघ्नहर्ता गणपति महोत्सव (Ganesh Chaturthi) की शुरूआत होती है, जो 10 दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी के पवन अवसर पर भगवान गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है और भाद्रपद शुक्ल की चतुर्दशी तिथि के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। इस तिथि को अनंत चतुर्दशी भी कहते हैं, जो पंचांग के अनुसार 9 सितंबर 2022 को है। इस दिन गणेश महोत्सव का समापन किया जाता है।
गणेश पूजा का महत्व
गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2022) तक हर एक दिन दिन भगवान गणेश को समर्पित माना गया है। बप्पा के भक्त इन 10 दिनों में गणेश जी के विभिन्न रूपों की स्तुति, उपासना और पूजा अर्चना करते हैं। शास्त्रों में तो गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है और इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा गया है। इसके अलावा गणपति रिद्धि और सिद्धि के भी दाता है। क्योंकि गणेश जी हर मनोकामाओं को पूर्ण करने वाले देवता माने गए हैं। गणेश जी की पूजा से माता पार्वती, भगवान शिव और लक्ष्मी जी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही पाप ग्रह केतु और बुद्धि, वाणिज्य आदि के कारक बुध ग्रह की भी शांति होती है।
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मिलेगी केतु ग्रह की शांति
ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह को एक पाप ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। इसी की वजह से कुंडली में कई अशुभ योग बनते हैं, जैसे कालसर्प योग, चंडाल योग, पितृ दोष, जड़त्व योग आदि राहु और केतु से निर्मित होते हैं जो व्यक्ति को जीवन भर परेशान करते हैं। इंसान को मेहनत करने के बावजूद पूर्ण सफलता नहीं मिल पाती है, उसके कामों में बाधा, परेशानी और कोई न कोई संकट बने ही रहते हैं। इसी कारण इस ग्रह को शांत रखना बहुत जरूरी हो जाता है। गणेश महोत्सव के दौरान गणेश जी की पूजा से केतु ग्रह की अशुभता को दूर किया जा सकता है। मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से केतु शुभ फल देने लगता है। गणेश महोत्सव में इस मंत्र का कम से कम एक माला नित्य जाप करना चाहिए। केतु ग्रह का बीज मंत्र- ॐ कें केतवे नम:
ऐसे करें बुध ग्रह की शांति
गणेश जी की पूजा से बुध ग्रह की भी शांति होती है। ये ग्रह अशुभ फल प्रदान कर रहा है तो गणेश जी की पूजा करने से ये शुभ फल देने लगता है। बुध को ज्योतिष शास्त्र में व्यापार का देवता और रक्षक भी बताया गया है। इसके साथ ही बुध को गणित, त्वचा, लेखन, वाणी आदि का भी कारक माना गया है। गणेश जी को प्रतिदिन दूर्वा घास अर्पित करने और इस मंत्र का जाप करने से बुध ग्रह की शांति होती है।