India and Russia Relations: रूस और भारत के बीच दोस्ती काफी पुरानी है। जब भी भारत को रूस की जरूरत पड़ी है वो सामने खड़ा रहा है और अब जब रूस को इंडिया (India and Russia Relations) की जरूरत है तो वो भी डट कर अपनी दोस्ती निभा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को लेकर रूस के खिलाफ UNSC में निंदा प्रस्ताव पर जब भी वोटिंग हुई भारत इससे दूर ही रहा है। अमेरिका और बाकी कई बड़े देशों ने इंडिया पर दबाव बनाने की खूब कोशिश की लेकिन, भारत को कोई फर्क नहीं पड़ा। अब एक बार फिर से रूस संग दोस्ती निभाते हुए भारत (India and Russia Relations) ने UNSC में निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहा।
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि मनमोहन काल से शुरू हुई पश्चिमी-पक्षीय विदेश नीति को छोड़ कर मोदी सरकार एक बार फिर पुरानी रूस पक्षीय नीति पर चल पड़ा है। वहीं भारत के टिंक टैक्स का कहना है कि भारत के साथ बाइडन प्रशासन खेल कर रहा है। वो दक्षिण एशिया में पाकिस्तान को एक बार सैन्य मदद देने लगा है। अमेरिका की यह नीति भारत विरोधी है।
अमेरिका ने ईरान से व्यापार करने वाली एक संस्था को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया है। यह अमेरिका की नीति में बहुत बड़े बदलाव का संकेत है। जबकि अमेरिका इसे संतुलन की नीति बता रहा है। भारत ने भी देर किए बिना अमेरिका को जवाब दिया है। बाइडन प्रशासन की संतुलन की नीति को झटका देने के लिए रूस के साथ अपने कूटनीतिक और राजनयिक संबंधों को मजबूत किया है।
इंडो पेैसेफिक क्षेत्र में अमेरिका, भारत के बिना चीन का मुकाबला नहीं कर सकता। पाकिस्तान को अमेरिकी सैन्य मदद के बीच भारत बाइडन प्रशासन का सहयोगी नहीं बनेहा। यानी अमेरिका को चीन के साथ समझौता करना पड़ेगा। व्यापार नीति में भी और सैन्य रणनीति में भी। मतलब यह है कि अगर चीन अपनी संतुलन की नीति पर आगे बढ़ता है को इंडोपैसेफिक क्षेत्र में चीन के दबदबे को स्वीकार करना पड़ेगा। इसका मतलब यह भी होगा कि अमेरिका चीन को सुपर पॉवर स्वीकार करने के लिए मजबूर हो जाएगा। ऐसा लगता है कि भारत ने तय कर लिया है कि वो रूस के साथ 1971 की नीति को अपनाएगा। अपने जियो पॉलिटिकल हितों को प्राथमिकता देगा। रूस-अमेरिकी संघर्ष से प्रत्यक्षतः दूर रहेगा मगर साथ रूस का ही देगा।
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रूस के खिलाफ भारत ने वोटिंग से बनाई दूरी
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अमेरिका और अल्बानिया द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया। इसमें रूस के अवैध जनमत संग्रह यूक्रेन के इलाकों पर रूसी कब्जे की निंदा की गई। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस अपने सैनिकों को यूक्रेन से तुरंत वापस बुला ले। इसके लिए UNSC में वोटिंग भी हुई, जिससे भारत ने इससे दूरी बना ली। भारत के साथ ही चीन ने भी वोटिंग से दूरी बनाकर रूस का साथ दिया।
रूस ने इस्तेमाल किया वीटो
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 देशों को इस प्रस्ताव पर मतदान करना था, लेकिन रूस ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल कर दिया। इस कारण प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। इस प्रस्ताव के समर्थन में 10 देशों ने मतदान किया और चार देश मतदान में शामिल नहीं हुए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने गुरुवार को कहा कि धमकी या बल प्रयोग से किसी देश द्वारा किसी अन्य देश के क्षेत्र पर कब्जा करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
भारत ने संवाद से समाप्त किया जा सकता है युद्ध
भारत का पक्ष रखते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने शांति, कुटनीति और संवाद की बात कही। उन्होंने कहा कि, यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है। वोटिंग को लेकर उन्होंने बताया कि, स्थिति की समग्रता को देखते हुए भारत वोटिंग से दूर रहा। कंबोज ने कहा, हमने हमेशा इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों द्वारा सभी प्रयास किए जाएं। संवाद ही मतभेदों और संवादों को सुलझाने का एकमात्र उत्तर है, चाहे वह कितना ही कठिन क्यों न हो, जो इस समय प्रकट हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि, भारत के प्रधानमंत्री ने भी इस बात पर जोर दिया है कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता।
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यूक्रेन के ये चार शहर रूस में मिले
बता दें कि, रूस ने यूक्रेन के चार शहरों पर कब्जा कर लिया है। अब ये क्षेत्र रूस में शामिल हो गये हैं। हाल ही में रूस ने इन इलाकों में जनमत संग्रह कराया था जिसके बाद तय किया गया ये लोग अब रूस के साथ हो जाएंगे। इसपर रूस ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि, “मैं चाहता हूं कि कीव के अधिकारी और पश्चिम में बैठे उनके असली मालिक मेरी बात सुनें। लुहांस्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया में रहने वाले लोग हमेशा के लिए हमारे नागरिक बन रहे हैं।”