US and Europe Fear with Putin: यूक्रेन अपनी गलती का सजा अब इस कदर भुगतेगा जिसके बारे जेलेंस्की ने कभी सोचा नहीं होगा। दुनिया में अगर किसी देश के पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियार है तो वो हा रूस और ये बात अमेरिका और यूक्रेन को बहुत अच्छे से पता है। आज हाल यह है कि यह जंग अब परमाणु हमले की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का रौद्र रूप देखकर अब यूरोप और अमेरिका (US and Europe Fear with Putin) दहशत में आ गए हैं। पुतिन ने हाल ही में परमाणु हमले के प्रयोग और ऊर्जा आपूर्ति में कटौती की धमकी दी थी। जिसके बाद अमेरिका और यूरोप डरा हुआ है। बाइडन भी हाल में कह चुके हैं कि, पुतिन ने परमाणु हथियारों के प्रयोग की जो धमकी दी है, वह सिर्फ एक गीदड़ भभकी नहीं है। बाइडेन की मानें तो पुतिन (US and Europe Fear with Putin) के पास अब यूक्रेन पर आक्रमण के विकल्प बहुत कम बचे हैं और ऐसे में वह यह कदम उठा सकते हैं।
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जो बाइडन को भी है खौफ
अपने संबोधन में बाइडेन ने कहा कि, हम यह अनुमान लगाने की कोशिशें कर रहे हैं कि पुतिन आगे क्या कर सकते हैं और उनके पास और क्या रास्ते हैं?’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक फंडरेजर कार्यक्रम में कहा, ‘ हम यह देख रहे हैं कि पुतिन खुद को इस स्थिति में कहां पाते हैं। क्या वह न सिर्फ अपनी प्रतिष्ठा खोते हैं बल्कि रूस में महत्वपूर्ण शक्ति खो देंगे?’ फिलहाल पुतिन काफी शांत हैं। वह प्रभावी तरीके से यूक्रेन की जमीन पर कब्जे और बंटवारे पर बातचीत को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं अपने देश में चिंताओं के बाद भी उन्होंने 300,000 सैनिकों की तैनाती के आदेश दिए हैं।
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यूरोप-यूक्रेन को सजा देंगे पुतिन
उधर मॉस्को में सेंटर फॉर पॉलिटिकल टेक्नोलॉजीज के उप-प्रमुख एलेक्सी मकार्किन का कहना है कि, पुतिन अब नई शर्तों के साथ सामने आ रहे हैं। अब किसी के पास कोई और विकल्प नहीं बचा है। यूक्रेन और यूरोप मिलकर अपनी पूरी ताकत के साथ रूस को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। अगर पश्चिमी इस जंग में नहीं आया होता तो आज न तो यूक्रेन की ये हाल होती और ना ही दुनिया में परमाणु हमले का खतरा होता। लेकिन, पश्चिमी देशों के चलते अब दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के छोर पर खड़ी है। कभी भी कुछ भी हो सकता है। पुतिन को हराना तो आसान नहीं है लेकिन, अगर उन्हें यूरोप-यूक्रेन के साथ मिलकर हरा देता है तो बेशक तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हो जाएगी। रूस के अधिकारियों की माने तो अमेरिका और यूरोप ऊर्जा कटौती के चलते कमजोर पड़ सकते हैं। उन्हें भी मालूम है कि यूक्रेन का समर्थ करना काफी महंगा पड़ता जा रहा है।