Delhi Pollution: हर बार की तरह इस बार भी दिवाली के बाद से ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण लोगों की नाक में दम कर रहा है। वैसे तो दिवाली से पहले ही प्रदूषण का लेवल बढ़ा हुआ था और फिर दिवाली बाद तो दिल्ली की हवा और ज्यादा खराब हो गई है। लेकिन, अब एक फिर दिल्ली की हवा दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। शुक्रवार को हवा इस सीजन की सबसे ज्यादा प्रदूषित रही। जी हां, एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का लेवल ‘गंभीर श्रेणी’ में पहुंच गया। कहा तो ये भी जा रहा है आने वाले कुछ दिनों में इसके और भी खराब होने के आसार जताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण जनवरी के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण (Air pollution) का स्तर खराब होने से जहरीली हवा में लोगों को सांस लेने में मुश्किलें आ रही हैं। धुंध की वजह से विजिबिलिटी भी कम हो गई है। शनिवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 309 बेहद खराब दर्ज किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय क्षेत्र में एक्यूआई 355, मथुरा रोड पर 340 जबकि नोएडा में 392 दर्ज किया गया। गुरुवार शाम को जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 354 दर्ज हुआ था तो वहीं शुक्रवार शाम को यह 367 पर पहुंच गया।
दिल्ली के आनंद विहार में शाम 4 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 455 था, जिससे यह यहां के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक बन गया। शाम 5 बजे पूरी दिल्ली का एक्यूआई 357 था। वहीं, गाजियाबाद में एक्यूआई 384, नोएडा में एक्यूआई 371, ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 364 और फरीदाबाद में एक्यूआई 346 था। सिर्फ दिल्ली ही नहीं पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक, 34 भारतीय शहरों में वायु की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है।
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गर्मी है वजह
इस साल दिवाली मौसम की शुरुआत में मनाई गई, इसलिए अपेक्षाकृत गर्मी रहने और हवाएं चलने के कारण प्रदूषण कम रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, मंगलवार को शाम चार बजे 24 घंटे का औसत एक्यूआई 303 था, जो 2015 के बाद से दिवाली के बाद के दिन के लिए सबसे कम था। दिवाली के अगले दिन दिल्ली का एक्यूआई 2015 में (360), 2016 में (445), 2017 में (403), 2018 में (390), 2019 में (368), 2020 में (435) और 2021 में (462) दर्ज किया गया था।
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार, राजधानी में पिछले साल की तुलना में इस साल दिवाली के दौरान पीएम 2.5 के स्तर में 64 प्रतिशत की कमी और पीएम10 के स्तर में 57 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने इस बार अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता को पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी, बेहतर मौसम संबंधी स्थितियों और ”कम पटाखे फोड़ने” को जिम्मेदार ठहराया।