Transgender Princess in Qatar: फीफा वर्ल्ड कप इस वक्त कतर में हो रहा है। फीफा वर्ल्ड कप का आयोजन पहली बार किसी इस्लामिक देश में हो रहा है। ऐसे में कतर खेल की आड़ में इस्लाम का प्रचार-प्रसार करने में लगा हुआ है। इस बीच एक बार फिर रूढ़िवादी मुल्क कतर बेनकाब हुआ है। खेल के बीच कतर के कुछ स्थानीय यहां से निकलकर विदेशों में सिर छिपाने के लिए मजबूर हैं। देश की एक राजकुमारी (Transgender Princess in Qatar) को ब्रिटेन में शरण लेनी पड़ी है। क्योंकि, उन्हें डर है कि ट्रांसजेंडर होने के चलते उन्हें प्रताड़ित किया जा सकता है। दरअसल, खाड़ी देश कतर में समलैंगिकता पर प्रतिबंध है। कुछ लीक दस्तावेजों के हवाले से ट्रांसजेंडर प्रिंसेस (Transgender Princess in Qatar) की कहानी दुनिया के सामने आई है। इससे कतर का पोल खुल गया है और एक फिर से साबित हो गया है वो धर्म के नाम पर कत्तरता को बढ़ावा देता है।
राजकुमारी ने कहा, मैं बाकी लोगों की तरह अपने भाइयों से शादी नहीं करना चाहती
दरअसल, संडे टाइम्स ऑफ लंदन ने एक लीक दस्तावेज के सामने कतर की सच्चाई सामने लाई है। दस्तावेजों के अनुसार, राजकुमारी कतर के शासक परिवार अल थानी की सदस्य है। उसने ब्रिटेन के होम ऑफिस, आप्रवासन और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सरकारी एजेंसी, को बताया कि उसका बचपन कितना मुश्किलों भरा रहा है। प्रिंसेस ने लिखा, ‘मैं एक महिला के रूप में पैदा हुई थी लेकिन भीतर ही भीतर से पुरुष थी।’ कतर में गे होना कानूनन दंडनीय अपराध और मौत की सजा के बराबर माना जाता है। दस्तावेज के मुताबकि, राजकुमारी 2015 की गर्मियों में लंदन की फैलिमी ट्रिप के दौरान भाग गई थई और अपनी गर्लफ्रेंड के साथ छिप गई थी ब्रिटिश सरकार से शरण मांगने के लिए आवेदन के साथ राजकुमारी ने कतर के शासक परिवार से भाग जाने के अपने सपने के बारे में भी लिखा। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जिंदगी कचरे में फेंक दी गई हो। मैं कभी भी अपने परिवार के बाकी लोगों की तरह अपने चचेरे भाइयों से शादी नहीं करना चाहती थी। मेरे भाई जो कुछ करने जा रहे थे, मैं उससे भयभीत थी।
समलैंगिक होना कतर में गुनाह है
बता दें कि, समलैंगिकता पर कतर का प्रतिबंध इस साल बहस का मुद्दा बना हुआ है। सात यूरोपीय टीमों को फीफी ने भेदभाव विरोधी वन लव आर्मबैंड पहनने तक से रोक दिया। कतर में समलैंगिकता के लिए तीन साल की सजा हो सकती है। अक्टूबर में प्रकाशित ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट में पाया गया कि कतर के सुरक्षा बलों ने एलजीबीटी लोगों को गिरफ्तार किया और बिना किसी कारण उन्हें ‘हिरासत में रखा और प्रताड़ित’ किया। कतर फीफा की आड़ में धर्म का प्रचार कर रहा है। यहां तक फीफा में भारत के प्रतिबंधित जाकिर नाईक को भी देखने की बात सामने आई। जिसपर भारत ने आपत्ति जताई तो कतर की ओर से इसपर सफाई भी आई।
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