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भगोड़े Zakir Naik संग Qatar का लव, FIFA के नाम पर इल्लामिक कट्टरपंथ का प्रचार

Zakir Naik in FIFA World Cup

Zakir Naik FIFA World Cup: दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी मुस्लिम देश में विश्व का बेहद लोकप्रिय खेल फुटबॉल का आयोजन हो रहा है। खाड़ी देश कतर में 20 नवंबर से फुटबॉल विश्वकप (FIFA World Cup 2022) शुरु हो गया है। इस विश्व कप को लेकर कतर पहले से ही चर्चा में है। स्टेडियम में पहुंचने वाले खिलाड़ियों के लिए बनाए गये रूल को लेकर तो कभी पाकिस्तान की सेना की सुरक्षा के लिए तैनाती कर कतर चर्चा में है। अब कतर ने जो किया है वो देख कर साफ कहा जा सकता है कि, फिफा के नाम पर इस्लामिक कट्टरपंथ का प्रचार करने का कोशिश कर रहा है। क्योंकि, कतर ने भारत में जहरीले उपदेश देने के आरोपी और भगोड़े विवादित मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक (Zakir Naik FIFA World Cup) को बुलाया है। धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने के आरोपी जाकिर नाइक (Zakir Naik FIFA World Cup) ने कहा है कि वह विश्‍वकप के दौरान इस्‍लाम का प्रचार करने के लिए कई तकरीर करेगा। जाकिर नाइक के कतर पहुंचने पर अब सोशल मीडिया लाल हो गया है और लोग कतर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।

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कतर कट्टरपंथी इस्लाम को दे रहा बढ़ावा
पाकिस्‍तान समर्थक कतर अब भारत को भड़काने में पूरी तरह से जुट गया है। कतर ने अभी तक भारतीय नौसैनिकों को रिहा नहीं किया है और अब उसने भारत के भगोड़े मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक को कतर आने और फुटबाल विश्‍वकप समारोह में हिस्‍सा लेने का जो न्‍यौता दिया उससे साफ है कि, कट्टरपंथी इस्लामका प्रचार किया जा रहा है। अक्‍सर विवादों में रहने वाले जाकिर नाइक ने कतर पहुंचने के बाद सोशल मीडिया में पोस्‍ट करके इसकी जानकारी दी है। जाकिर नाइक ने कहा कि वह कतर में पूरे फुटबॉल विश्‍वकप के दौरान वह इस्‍लाम पर अपने धार्मिक लेक्‍चर देगा। कतर ने जाकिर नाइक को ऐसे समय पर आने और तकरीर करने की अनुमति दी है जब मलेशिया ने उसके बोलने पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं। भारत से भागने के बाद जाकिर नाइक को मलेशिया ने शरण दी थी।

हिंदुओं और अन्य धर्मों के खिलाफ जहर उगलने वाले को कतर ने FIFA समारोह में बुलाया
सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि, ब्रिटेन ने भी जाकिर नाइक को उसके जहरीले भाषणों के चलते उस पर प्रतिबंध लगा रखा है। अब ऐसे शख्‍स को कतर की भारत विरोधी सरकार ने इस्‍लाम का प्रचार करने के लिए बुलाया है। यह वही कतर है जिसने विवादित भारतीय चित्रकार एम एफ हुसैन को शरण दी थी। कतर ने नूपुर शर्मा विवाद में भी भारत के खिलाफ कई बयान दिये थे। कतर ने भारतीय राजदूत को तलब किया था। अब उसी कतर ने हिंदुओं और अन्‍य धर्मों के खिलाफ विवादित बयान देने वाले जाकिर नाइक को बुलाया है। जाकिर नाइक पर आरोप है कि वह आत्‍मघाती बम हमलावरों का समर्थन करता है।

कतर को नहीं पड़ रहा कोई फर्क
जाकिर नाइक जैसे ही कतर पहुंचा उसे लेकर सोशल मीडिया पर जमकर लोग भड़ास निकालने लगे। उसकी तसवीरें वायरल हो रही हैं। बड़ी में उसे लेकर ट्वीट किये जा रहे हैं। यूजर्स लिखते हैं कि, वांछित अपराधी जाकिर नाइक फीफा वर्ल्‍ड कप में तकरीर करने के लिए कतर पहुंच गया है। कतर ने पेंटर एमएफ हुसैन को शरण दी थी। नूपुर शर्मा को लेकर भारत के खिलाफ चले अभियान का नेतृत्‍व भी कतर ने किया था। भारत क्‍यों बार-बार उकसावे वाली कार्रवाई के बाद भी क्‍यों कतर से विरोध नहीं दर्ज करवा रहा है।’

फिफा के बहाने इस्लाम का प्रचार कर रहा कतर
बातें तो ये भी हो रही है कि, कतर फुटबॉल के जरिए अतिवाद को बढ़ावा दे रहा है। जाकिर नाइक शराब, संगीत, डांस और सिंगिंग का विरोध करता है। वो इन्हें इस्लाम के खिलाफ बताता है। वो समलैंगिकों को मौत की सजा देने की मांग की है। कतर ने इसका जमकर प्रचार किया। कतर का कहना है कि, 558 फुटबॉल फैन्स ने इस्लाम अपना लिया है। यही नहीं कतर के स्‍टेडियम इस्‍लामिक नारों से भरी हुई हैं। कतर में फिफा के नाम पर जो धर्म को लेकर हो रहा है वो अभी तक कभी ऐसा देखने को नहीं मिला था। इस्लामिक देश अपना असली रंग दिखा रहा है। इतना ही धर्मा का प्रचार अगर किसी ईसाई देश ने फुटबॉल विश्‍वकप आयोजन के दौरान किया होता तो आज दुनिया में बवाल मच गया होता।

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खेल में धर्म को घुसाना ठीक नहीं
कतर अब खेल के अंदर धर्म को मिला रहा है। इस बारे में फीफा भी चुप है। फुटबॉल विश्‍वकप खेल रही 32 टीमों में से केवल 5 मुस्लिम बहुल देश हैं। ऐसे में कतर क्‍यों फुटबॉल फैन्‍स पर इस्‍लाम को थोप रहा है। यह विश्‍वकप के राजनीतिकरण से ज्‍यादा खतरनाक चीज है। मुसलमान जब आधुनिकता, एकजुटता और उदारता की ओर कदम बढ़ाते हैं तो कतर उन्‍हें कट्टर बनाने के लिए हर संभव कदम उठाने लगता है। ये वही कतर है जिसने अलकायदा, मुस्लिम ब्रदरहूड जैसे आतंकी संगठनों को फंडिंग करता रहा है। फिफा को अब कोई बड़ा एक्शन लेना चाहिए और आने वाले समय में इस्लामिक देशों से फिफा के आयोजन पर कोई बड़ा फैसला लेना चाहिए। क्योंकि, खेल में धर्म को घुसाना ठीक नहीं है।