Turbojet Train:रूस की जेट ट्रेन इन दिनों गुमनामी में खोई हुई है। खास बात सोवियत संघ जमाने की यह ट्रेन अब कबाड़ बन चुकी है। 1970 के दशक में सबसे तेज गति से यात्रा करने वाली इस ट्रेन में दो जेट इंजन लगे हुए हैं। ये इंजन इसे 350 किलोमीटर प्रतिघंटा की टॉप स्पीड पर लेकर जाते थे। हालांकि, इलेक्ट्रिक ट्रेन और बुलेट ट्रेन (bullet train) के आने के बाद इसकी उपयोगिता पर कई सवाल भी उठे। इस ट्रेन की लागत इतनी ज्यादा थी कि यात्रियों से उतना किराया वसूलना भी काफी मुश्किल होता था।उतने किराए में यात्री ट्रेन के बजाए फ्लाइट से यात्रा कर लेते थे। उपयोगिता घटने के बाद इस ट्रेन को बंद कर दिया गया। वहीं आज ये ट्रेन सोवियत युग के रेल कारखाने में जंग खा रही है।
सेंट पीटर्सबर्ग में जंग खा रही यह जेट ट्रेन
रूस की यह जेट ट्रेन सेंट पीटर्सबर्ग के कलिनिन्स्की में एक फैक्ट्री यार्ड में खड़ी है। इस ट्रेन की छत पर दो विशाल जेट इंजन लगे हुए हैं। 50 टन की यह ट्रेन सामान्य तौर पर 290 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलती थी। हालांकि, लंबी दूरी की यात्रा के दौरान 28 मीटर की यह ट्रेन अपने जेट इंजनों के इस्तेमाल से 350 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड भी पकड़ सकती थी।
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अपने जमाने की सबसे तेज ट्रेन
परीक्षण के दौरान इस ट्रेन ने 320 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड को पार किया था। उस जमाने में किसी भी ट्रेन के लिए 300 किमी की स्पीड को छूना लगभग नामुमकिन माना जाता था। ऐसे में रूस की जेट ट्रेन अपने जमाने की सभी हाईस्पीड ट्रेनों से भी तेज स्पीड में यात्रा करती थी। रूस की इस जेट ट्रेन को आधिकारिक तौर पर गाई स्पीड लेबोरटरी कार का नाम दिया गया था। इस ट्रेन का उद्घाटन अक्टूबर 1970 में किया गया था।
358 किमी प्रति घंटा की गति पर किया सफर
पांच साल परीक्षण के बाद इस ट्रेन को सार्वजनिक यात्रा के लिए प्रस्तुत किया गया। रूस की ऑल-यूनियन रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ कैरिज बिल्डिंग ने इस ट्रेन को 358 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड पर चलाने का दावा किया। उन्हें उम्मीद थी कि यह ट्रेन सोवियत रेलवे की दिशा और दशा को बदलकर रख देगी।