PFI Again Active in India: भारत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर जब जांच एजेंसियों ने एक्शन लेना शुरू किया तो कट्टरपंथियों की सांसे टंग कई। कई सबूत ऐसे मिले जिसमें संगठन के सदस्य सीरिया, इराक, अफगानिस्तान में जाकर आईएस जैसे आतंकी संगठनों में शामिल हुए। इसके बाद सरकार ने PFI को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। साथ ही इससे जुड़े आठ अन्य संगठनों पर भी गृह मंत्रालय ने पाबंदी लगा दी। अब सरकार के इस एक्शन केछ महीने बाद एक बार फिर से पीएफआई को एक्टिव (PFI Again Active in India) किया जा रहा था। इस बार इसका नाम बदलकर देश में दंगे फसाद करने का प्लान था। NIA ने कम से कम 50 जगहों पर PFI के ठिकानों (NIA Raids On PFI Leaders) पर छापेमारी की जिसमें खुलासा हुआ कि, ये नाम बदलकर संचालित (PFI Again Active in India) हो रहा था।
नाम बदलकर PFI को संचालित करने की चल रही थी तैयारी
केरल में PFI एक बार फिर से एक्टिव हो रहा था लेकिन, NIA ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर संगठन की कमर तोड़ दी है। गुरुवार तड़के एनआईए की टीम ने पीएफआई के दो दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की है। इसमें सबसे बड़ी बात जो सामने आई है वो ये कि, ये नाम बदलकर संगठन को संचालित कर रहे थे। PFI के लोग दोबारा से संगठन को अमल में लाने की कोशिशें कर रहे थे। नये नाम से पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे थे। जिसकी भनक खुफिया इनपुट के जरिए एनआई को पता चल गई। पीएफआई के फिर से एक्टिव होने की खबर मिलते ही एनआई ने कमर कस ली और एनार्कुलम और तिरुवनंतपुरम स्थित पीएफआई के कई ठिकानों पर छापेमारी की है।
कैसे कमजोर हुई इसकी जड़े
अब जानते हैं PFI के भारत में जड़ें कैसे मजबूत हुई और फिर कैसे इसे उखाड़ फेंका गया। दरअसल, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की कहानी शुरू होती है 1992 से जब बाबरी विध्यवंस हुआ। मुस्लिम हितों की रक्षा करने के लिए केरल के मुसलमान नेताओं ने 1994 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंटी (NDF) की स्थापना की और धीरे-धीरे ये संगठन इस राज्य में अपनी जड़ें मजबूत करता चला गया। जितने भी दंगे-फसाद होते उसमें इसका नाम जुड़ने लगा। 2003 में कोझिकोड में आठ हिंदुओं की हत्या के बाद संगठन पर आईएसआई से संबंध होने के आरोप लगे लेकिन, साबित नहीं हो सके। इशके हाद हिंसक गतिविधियों में इसका नाम आते गया और चर्चा होते गई। फिर नवंबर 2006 में दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें NDF के अलावा दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय हुआ और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया अस्तित्व में आया।
अमित शाह के कर्नाटक दौरे से शुरू हुई थी PFI पर एक्शन की तैयारी
PFI की जड़ें इतनी मजबुत हो गई कि, केरल से निकलर ये पूरे भारत में फैल गया और हर आतंकी गतिविधियों में इसका नाम सामने आने लगा। इसपर एक्शन तब शुरू हुआ जब अगस्त 2022 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर्नाटक दौरे पर गये। यहां वो एक कार्यक्रम के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और राज्य के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के बीच एक बैठक हुई और फिर यहीं से PFI के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई। दिल्ली लौटते ही अमित शाह ने अपने तेतर्रार अधिकारियों की एक टीम तैयार की।
जेम्स बॉन्ड की एंट्री
लेकिन, PFI को उखाड़ फेंकना इतना आसान नहीं था, इसलिए किसी ऐसे अधिकारी की जरूरत थी जो ऐसे संगठनों से पहले अच्छे से निपट चुके हैं। अब जब यहां तक बात पुहंची तो जेम्स बॉन्ड को बुलाया गया। यानी कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल को। अमित शाह ने डोभाल के साथ बैठक में PFI के खिलाफ पूरी योजना एक्शन लेने के लिए बोले और यहां से शुरू हो गई जड़ों को काटने की तैयारी। इसके बाद टीमें गठित हुईं जिनका काम था…
- PFI नेटवर्क की मैपिंग
- PFI फंडिंग का पता करना और सबूत इकट्ठा करना
- पूर्व में हुए सभी दंगों और घटनाओं के खिलाफ फिर से जांच करना
पीएम मोदी की हरी झंडी मिलते ही जेम्स बॉन्ड ने अपनी टीम को एक्टिव कर दिया
गृह मंत्री अमित शाह ने PFI को लेकर सारी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखी। उन्होंने तुरंत हरी झंडी दे दी और भी डोभाल ने मोर्चा संभालते हुए अपना काम शुरू कर दिया। दो सिंतबर को डोभाल पीएम मोदी के साथ केरल पहुंचे। यहां आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी दिल्ली लौट आए, लेकिन डोभाल केरल में रुक गए। यहां उन्होंने केरल के टॉप पुलिस अफसरों के साथ बैठक की। इसके बाद डोभाल मुंबई पहुंचे। यहां भी उन्होंने राजभवन के सुरक्षा अधिकारियों के साथ मीटिंग की। महाराष्ट्र के टॉप पुलिस अधिकारियों से भी बात की। 15 सितंबर को डोभाल ने एनआईए और ईडी के अधिकारियों के साथ बैठक की और पूरे एक्शन की जानकारी दी। अब समय था पूरे प्लान को जमीन पर उतारने की।
दो छापेमारी में सारी जड़ें काट दी गई
डोभाल ने सभी अधिकारियों 21 सितंबर को आदेश दिया कि 22 सिंतबर की सुबह एक्शन शुरू हो जाना चाहिए। 22 सितंबर के सुरज निकलने से पहले ही NIA और ED की टीमों ने 15 राज्यों के 150 से ज्यादा पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी। ये पीएफआई के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान था। इसके बाद केरल से पीएफआई के 22, महाराष्ट्र से 20, कर्नाटक से 20, तमिलनाडु से 10, असम से नौ, उत्तर प्रदेश से आठ, आंध्र प्रदेश से पांच, मध्य प्रदेश से चार, पुडुचेरी से तीन, दिल्ली से तीन और राजस्थान से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूरे देश के आंकड़ों को देखें तो 22 सितंबर को पीएफआई से जुड़े 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया। दूसरे छापे में पीएफआई को पूरी तरह से उखाड़ फेंकते हुए इसपर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया साथ ही इससे जुड़े 8 और संगठनों को 5 साल के लिए बैन कर दिया गया। PFI के खिलाफ दूसरे एक्शन में सात राज्यों में 230 सदस्यों को हिरासत में लिया गया।
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