India and China in Nepal: नेपाल में जब से सत्ता में परिवर्तन हुआ है तब से तब से ही चीन अपनी हरकतें तेज कर दिया है। जब तक शेर बहादुर देउबा की सरकार की थी तब तक तो चीन (India and China in Nepal) के एक दाल न गली लेकिन, जैसे ही प्रचंड की सरकार बनी चीन अपने कई परियोजनाओं को वहां पर अमल करने लगा। सरकार बनने के तीन ही दिन बाद नेपाल में पोखरा एयरपोर्ट का उद्घाटन हुआ जिसे चीन द्वारा बनाया गया था। इसके साथ ही चीन कई और प्रोजक्ट पर काम तेज कर दिया। चीन का नेपाल में बढ़ता कदम किसी बड़े टेंशन से कम नहीं है। लेकिन, इसी बीच चीनी समर्थक कोपी ओली ने प्रचंड सरकार को धोखा देकर अपनी सरकार बनाने की प्लानिंग की थी। लेकिन, अब भारत ने भी चीन (India and China in Nepal) को बड़ा झटका दे दिया है। अब काठमांडू मेंम सबसे पहले हिंदुस्तानी ट्रेन दौड़ेगी।
नेपाल में दौड़ेगी हिंदुस्तानी ट्रेन
भारत ने रक्सौल- काठमांडू रेललाइन के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे तेज कर दिया है। इसके बाद काठमांडू तक रेल चलाने का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं भारत के ऐक्शन में आने से चीन भी हरकत में आ गया है और उसने अपनी चाल को तेज कर दिया है। चीन ने अब केरुंग-काठमांडू रेलवे लाइन की संभावना की जांच के लिए अध्ययन शुरू कर दिया है। ड्रैगन की चाल में यह तेजी केपी ओली के समर्थन वाली प्रचंड सरकार के सत्ता में आने के बाद आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि, चीन अरबों डॉलर की इस रेलवे लाइन के जरिए नेपाल को श्रीलंका की तरह से कर्ज के जाल में फंसाना चाहता है।
चीन भी हुआ एक्टिव
ये रेलवे लाइन हिमालय के बीच से बनाई जानी है जो बहुत ही खर्चीला और तकनीक रूप से बहुत ही चुनौतीपूर्ण होगा। यही नहीं रेलवे लाइन बनने के बाद उसे चलाए रखने में करोड़ों रुपये का खर्ज आएगा। चीन यह रेलवे लाइन बेल्ट एंड रोड परियोजना (BRI) के तहत बनाना चाहता है जिसका पूरा खर्ज वो नेपाल से वसूलना चाहता है। इस बीच नेपाल सरकार चाहति है कि, चीन उसे लोग की जगह आर्थिक सहायता दे। जिसके लिए चीन तैयार नहीं है।
भारत के कदम बढ़ाते ही खिसिया गया चीन
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट की माने तो, जब से नेपाल ने भारत ने रेल योजना तेज किया है तब से चीन इसे अपने नाक पर ले लिया है। भारत और चीन दोनों ही नेपाल में अपने प्रभाव को खत्म नहीं होने देना चाहते हैं। गत दिसंबर महीने में चीन का एक 6 सदस्यीय दल रेलवे के सर्वे के लिए पहुंचा था। कोरोना के बाद पहली बार चीनी सर्वे दल नेपाल आया था। नेपाल के रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अमन ने कहा, ‘चीनी दल ने प्रस्तावित रेल नेटवर्क के विभिन्न स्थलों का दौरा किया और मंगलवार को सर्वेक्षण करने के बाद वे चीन लौट गए।’ अमन ने कहा कि हम अब कह सकते हैं कि ट्रेन को चलाने के लिए संभावना अध्ययन अब आगे बढ़ चुका है। इस तरह से देखें तो भारत ने चीन को रेल दौड़ाने के मामले में बहुत पीछे छोड़ दिया है। रेलवे के एक अन्य अधिकारी रोहित कुमार बिसुराल ने कहा कि भारतीय पक्ष ने बिहार के रक्सौल से काठमांडू के बीच रेल चलाने के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे हेतु अपना फील्डवर्क पूरा कर लिया है। भारत की ओर से इस पूरी परियोजना को कोंकण रेलवे की ओर से अंजाम दिया जा रहा है। यह कंपनी अप्रैल से मई के बीच अपनी रिपोर्ट दे देगी।
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