प्रसिद्ध पर्यावरणविद आलिया मीर की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें यह सम्मान दिलाया है। अब उनके पास वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार प्राप्त करने वाली जम्मू और कश्मीर की पहली महिला होने का बेमिसाल गौरव है।
जम्मू-कश्मीर सरकार के वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण विभाग द्वारा आयोजित एक समारोह में अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर मीर को केंद्र शासित प्रदेश के लेफ़्टीनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा द्वारा एक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
यह पुरस्कार वन्यजीव संरक्षण के विभिन्न पहलुओं में फैले उनके प्रयासों की मान्यता है। इसमें जंगली जानवरों का बचाव और रिहाई, घायल जानवरों का इलाज, मानव-वन्यजीव संघर्ष को ख़त्म करना और कश्मीर में दो भालू बचाव केंद्रों का प्रबंधन शामिल है।
जहां वह वाइल्डलाइफ़ एसओएस में कार्यक्रम प्रमुख और शिक्षा अधिकारी के रूप में काम कर रही मीर कश्मीर की पहली महिला वन्यजीव रक्षक हैं,वहीं एशियाई काले भालू, हिमालयी भूरे भालू, पक्षियों, तेंदुओं और अन्य स्तनधारियों के साथ-साथ सांपों को बचाने के अपने काम के लिए भी जानी जाती हैं।
पिछले कई वर्षों में उन्होंने रसोई, लॉन, बगीचे और घरों, कार्यालयों, संस्थानों के शौचालयों और वाहनों से भी सांपों को बचाया है।
वह तब सुर्खियों में आयी थीं, जब एक वाइल्डलाइफ एसओएस टीम का नेतृत्व करते हुए उन्होंने एक अत्यधिक विषैला सांप लेवांटाइन वाइपर को एक घंटे के ऑपरेशन में मुख्यमंत्री आवास से बचा लिया था। इस घटना को याद करते हुए मीर ने कहा कि इसे जंगल में छोड़ दिया गया था और “यह अब तक मिले सबसे भारी वाइपरों में से एक था और इसका वज़न लगभग 2 किलोग्राम था।”
रेस्क्यू के अलावा, मीर ने स्थानीय समुदायों को सांपों के बारे में जागरूक किया है, क्योंकि उनके बीच इन सरीसृपों के प्रति गहरा डर और घृणा है। वन्यजीव बचाव हेल्पलाइन, जो उन्होंने 2021 में शुरू की थी, सांपों और अन्य जंगली जानवरों को बचाने में जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण विभाग के साथ मिलकर काम करती है।
अपनी टीम के साथ वह दचीगाम और पहलगाम में दो भालू बचाव केंद्रों की भी देखभाल करती हैं, जिसमें आठ भालू रहते हैं। इनमें एशियाई काले भालू और हिमालयी भूरे भालू दोनों ही शामिल हैं। वह हंगुल या कश्मीर स्टैग और एशियन वॉटरबर्ड सहित राज्य में किए गए विभिन्न वन्यजीव गणनाओं का एक अभिन्न हिस्सा रही हैं।