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मोदी सरकार की पहल से नगालैंड, असम और मणिपुर में शांति का नया दौर

मोदी सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावी क़दमों से तेज़ी से शांति और विकास के पथ पर अग्रसर होता पूर्वोत्तर क्षेत्र

पूर्वोत्तर भारत में सुरक्षा की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार को ध्यान में रखते हुए सरकार ने शनिवार को 1 अप्रैल, 2023 से नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत आने वाले अशांत क्षेत्रों की संख्या में और कमी लाने की घोषणा की है।

गृह मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावी क़दमों के कारण लिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप विकास की गति में वृद्धि के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
2014 की तुलना में 2022 में चरमपंथी घटनाओं में 76% की कमी आयी है। इसी तरह, दी गयी अवधि के दौरान सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की मौतों में क्रमशः 90% और 97% की कमी आयी है।

कई दशकों के बाद एक ऐतिहासिक क़दम उठाते हुए भारत सरकार ने अप्रैल 2022 में क्षेत्र के  इन तीन राज्यों में AFSPA के तहत अशांत क्षेत्रों को कम कर दिया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में पहली बार पूर्वोत्तर की सुरक्षा, शांति और विकास को प्राथमिकता दी गयी है, जिसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र आज तेज़ी से शांति और विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है.
पिछले चार वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों में कई शांति समझौते लागू किए गए हैं क्योंकि अधिकांश चरमपंथी समूहों ने हथियार डालकर और पूर्वोत्तर की शांति और विकास में भागीदार बनकर देश के संविधान और सरकार की नीतियों में विश्वास व्यक्त किया है।
2014 से अब तक लगभग 7,000 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। पिछले चार वर्षों के दौरान गृह मंत्रालय ने कई ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए हैं, जिनसे दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हुआ है।
अगस्त, 2019 में, त्रिपुरा में एनएलएफटी (एसडी) के साथ विद्रोहियों को मुख्यधारा में लाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
जनवरी, 2020 के बोडो समझौते ने असम की पांच दशक पुरानी बोडो समस्या का समाधान कर दिया है।
जनवरी, 2020 में दशकों पुराने ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट को हल करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत आंतरिक रूप से विस्थापित 37,000 लोगों को त्रिपुरा में फिर से बसाया जा रहा है।

सितंबर, 2021 के कार्बी-एंगलांग समझौते से असम के कार्बी क्षेत्र में लंबे समय से चले आ रहे विवाद का समाधान हो गया है।

सितंबर 2022 में असम के आदिवासी समूह के साथ एक समझौता भी किया गया है।

गृह मंत्रालय बताता है, “प्रधानमंत्री मोदी पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को उग्रवाद मुक्त बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। इस संबंध में केंद्र सरकार राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ लगातार बातचीत कर रही है। मोदी सरकार द्वारा सुरक्षा की स्थिति में सुधार के कारण AFSPA के तहत अशांत क्षेत्र अधिसूचना को 2015 में त्रिपुरा और 2018 में मेघालय से पूरी तरह से वापस ले लिया गया था।”
अशांत क्षेत्र अधिसूचना, 1990 से पूरे असम में लागू है। मोदी सरकार के अथक प्रयासों के कारण सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार के परिणामस्वरूप AFSPA के तहत अशांत क्षेत्रों को नौ ज़िलों और एक अन्य ज़िले के एक उप-मंडल को छोड़कर पूरे असम राज्य से अप्रैल 2022 से हटा दिया गया था। एक अप्रैल से इसे घटाकर सिर्फ़ आठ ज़िलों में कर दिया गया है।

मणिपुर में AFSPA के तहत अशांत क्षेत्र घोषणा (इंफाल नगर पालिका क्षेत्र को छोड़कर) 2004 से लागू थी। केंद्र सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण क़दम उठाते हुए 6 ज़िलों के 15 पुलिस थाना क्षेत्रों को अप्रैल 2022 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना से बाहर कर दिया गया। अप्रैल, 2023 से 4 अन्य थानों से अफस्पा के तहत आने वाले अशांत क्षेत्र अधिसूचना वापस ली जा रही है। इस प्रकार, मणिपुर के 7 ज़िलों के 19 पुलिस थानों को AFSPA के तहत अशांत क्षेत्र अधिसूचना से हटा दिया गया है।

अशांत क्षेत्र अधिसूचना, 1995 से पूरे नागालैंड में लागू थी। इस संदर्भ में गठित समिति की चरणबद्ध तरीक़े से एएफएसपीए को हटाने की अनुशंसा के बाद अप्रैल, 2022से 7 ज़िलों के 15 पुलिस थानों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना वापस ले ली गयी थी। इसे अप्रैल,2023 से 3 अन्य पुलिस स्टेशनों से वापस लिया जा रहा है। इसलिए, नागालैंड के 8 ज़िलों में कुल 18 पुलिस स्टेशनों को AFSPA के तहत अशांत क्षेत्र अधिसूचना से हटाया जा रहा है।
गृह मंत्री शाह ने कहा, “पूर्वोत्तर के लोगों के जीवन में यह सकारात्मक बदलाव लाने और इस क्षेत्र को शेष भारत के दिलों से जोड़ने के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी जी का आभार व्यक्त करता हूं, इस महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई !