फिनलैंड कल (मंगलवार) को NATO ( नॉर्थ अटलांटिंक ट्रीटी ऑर्गनाइज़ेशन) का 31वां सदस्य बन गया है। फिनलैंड औपचारिक रूप से NATO का सदस्य बन गया है, जिसके 30 देश पहले से ही सदस्य हैं। रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के एक साल बाद फिनलैंड NATO ( नॉर्थ अटलांटिंक ट्रीटी ऑर्गनाइज़ेशन) का 31वां सदस्य बन गया। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद ही फिनलैंड और स्वीडन ने NATO का सदस्य बनने की पेशकश की थी और पिछले साल मई में फिनलैंड (Finland) और स्वीडन ने अपनी सैन्य गुटनिरपेक्षता को छोड़कर नेटो का स्थायी सदस्य बनने के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया था। उसके बाद नेटो के सदस्य देशों ने एक-एक कर इस पर मुहर लगाई। नेटो के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने अपने बयान में कहा कि इस फैसले से फ़िनलैंड सुरक्षित होगा और हमारा गठबंधन मज़बूत होगा। ये फिनलैंड, नॉर्डिक सुरक्षा और नेटो के लिए एक अच्छा दिन है।
स्वीडन भी फिनलैंड के साथ NATO का मेमबर बनना चाहता था
जानकारी के लिए बता दें के स्वीडन भी फिनलैंड के साथ NATO का मेमबर बनना चाहता था। लेकिन स्वीडन में तुर्किए विरोध प्रदर्शनों के बाद तुर्किए ने स्वीडन के नेटो में शामिल होने पर अड़ंगा डाल दिया। साथ में हंगरी ने भी स्वीडन की नेटो में एंट्री को मंज़ूरी नहीं दी, लेकिन नेटो चीफ जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि स्वीडन अकेला नहीं है। स्वीडन NATO के उतने ही करीब है जितना वो एक सदस्य के रूप में आ सकता है, और हम स्वीडन को जोड़ने की कोशिश जारी रखेंगे।
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फिनलैंड रूस के साथ करीब 1300 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। रूस यूक्रेन में जंग छिड़ने के बाद से फिनलैंड और स्वीडन ने सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी और नेटो का सदस्य बनने का फैसला किया था जबकि इससे पहले दोनों ही देश किसी भी सैन्य गठबंधन का हिस्सा बनने के पक्षधर नहीं रहे थे। फिनलैंड के NATO में शामिल होने के बाद रूस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन में न्यूक्लियर मिसाइल तैनात करने का ऐलान किया है।