अमेरिका (America) और चीन जैसी दो सुपर पावर के बीच टकराव की आहट सुनाई देने लगी है। चीन की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि जिस तरह अमेरिका ने रूस के खिलाफ मिलिट्री अलायंस NATO का गठन किया है, अगर कुछ ऐसा ही वो (America) चीन के खिलाफ करने का प्रयास करता है तो दुनिया में खूनी खेल शुरू हो सकता है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि बीजिंग सैन्य गठबंधनों के अनियंत्रित विस्तार को खारिज करता है।
चीन की तरफ से कहा गया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में NATO की तर्ज पर अगर उसके खिलाफ कोई मिलिट्री अलायंस बनाने का प्रयास किया जाता है तो ये केवल रक्तपात को बढ़ावा देगा। वांग ने मंगलवार को बीजिंग में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन “सैन्य गठबंधनों के अनियंत्रित विस्तार और अन्य देशों के सुरक्षा क्षेत्र को घेरने का विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि बीजिंग किसी भी मामले में संबंधित राष्ट्रों को चिन्हित किए बिना बातचीत और परामर्श के माध्यम से देशों के बीच मतभेदों और विवादों को हल करना चाहेगा।
चीन की पकड़ ढीली करना चाहता है अमेरिका
ड्रैगन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना अधिकार होने का दावा करता है। तमाम पड़ोसी देश चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान हैं। यही वजह है कि बीते एक दशक में दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी v सेना की पकड़ मजबूत हुई है। अमेरिका की कोशिश चीन की पकड़ को ढीला करने के लिए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में मिलिट्री अलायंस बनाया जाए।
जिंगपिन-बाइडन की मुलाकात पर सस्पेंस
वांग ने यह पुष्टि करने से भी इनकार कर दिया कि क्या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आने वाले दिनों में पहले से तय अमेरिका (America) की यात्रा के दौरान अपने समकक्ष जो बिडेन से मुलाकात करेंगे या नहीं। इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि एपीएमसी समिट के इतर दोनों नेताओं की 14 से 16 नवंबर के बीच सैन फ्रांसिस्को में मुलाकात हो सकती है।
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