आयुष गोयल
आम आदमी पार्टी के नेता के रूप में अपनी राजनीतिक ‘परिपक्वता’ दिखाते हुए पंजाब के सीएम भगवंत मान ने आज राज्य को सबसे बड़ी चुनौती को जीतने को लेकर बधाई दी। खालिस्तानी कार्यकर्ता अमृतपाल सिंह की गिरफ़्तारी के कुछ घंटों बाद मान ने लोगों को शांति और सद्भाव बनाये रखने के लिए धन्यवाद दिया और बेहतर भविष्य का वादा किया।
मान ने आत्मविश्वास से कहा “युवाओं को गुमराह करने वाले और हमारी अखंडता को ख़तरे में डालने वाले व्यक्ति को गिरफ़्तार कर लिया गया है। हम चाहते हैं कि हमारे युवा इस तरह के कुख्यात लोगों के साथ होने के बजाय उच्च शिक्षित हों, दुनिया भर में शिक्षा और खेल में उत्कृष्ट हों। मैं शांति के लिए एक साथ खड़े होने के लिए पंजाब के लोगों का शुक्रगुज़ार हूं। गिरफ़्तारी के दौरान क्या-क्या पेचीदगियां हो सकती हैं, इस बात का अनुमान लगाते हुए कल रात मेरी नींद हराम रही, लेकिन सब कुछ ठीक रहा और सब कुछ शांतिपूर्ण रहा।” ।
इस संबोधन को मान के अंतत: आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की छाया से बाहर निकलने के रूप में देखा गया। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही मान को हमेशा पिछड़ते हुए देखा गया और रबर स्टैंप वाले मुख्यमंत्री के रूप में अक्सर उनका उपहास उड़ाया गया। हालांकि, अमृतपाल की कार्रवाई ने जहां पंजाब और केंद्र के तालमेल को सामने रख दिया है, वहीं आप दिल्ली में बीजेपी से जमकर भिड़ंत कर रही है। 22 अप्रैल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कर्नाटक में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि अमृतपाल को कभी भी पकड़ा जा सकता है। पंजाब में खालिस्तानी लहर नहीं है और वह कभी भी पकड़ा जायेगा। शाह ने पंजाब में अमृतपाल सिंह के संकट से निपटने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की उदारता से प्रशंसा की थी, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा हो गयी थी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की इसी तरह की प्रशंसा के बाद कांग्रेस ने मान सरकार को फिर से बी टीम बताते हुए हमला किया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने Indianarrative.com को बताया, “दिल्ली में जिस समय आप के साथ बीजेपी की जंग चल रही हो,उस वक़्त किसी को और क्या सबूत चाहिए कि बीजेपी के बड़े नेता मान सरकार की तारीफ़ कर रहे हैं। यह सरकार उनकी बी टीम है और भगवंत मान सहारा हैं। पूरे प्रकरण को राज्य के सद्भाव को बाधित करने के लिए रचा गया था। राजनीतिक रूप से वह पंजाब के एकनाथ शिंदे बनने जा रहे हैं। वे पहले दिन से ही एक-दूसरे से मिले हुए हैं। वे एक राजनीतिक डब्ल्यूडब्ल्यूई खेल रहे हैं और सब कुछ पहले से तय है। ”
ग़ौरतलब है कि 2 मार्च को भगवंत मान की अमित शाह से हुई मुलाक़ात ने अफ़वाहों को हवा दे दी थी। मान ने शाह से मिलने के बाद घोषणा की थी कि राज्य के हितों को प्राथमिकता देते हुए उन्होंने नशीले पदार्थों के ख़तरे को कम करने और पुलिस को आधुनिक बनाने के लिए ज़्यादा धन की मांग की थी। यह बैठक अमृतपाल के नेतृत्व में अजनाला थाने पर हुए हमले के बाद हुई थी। केंद्र ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 30-40 कंपनियां भेजी थी और मान ने ज़ोर देकर कहा था कि ऐसा उनकी सिफ़ारिश पर किया गया है। इसके बाद 18 मार्च को कार्रवाई की गयी और इसे केंद्र द्वारा आयोजित किए जाने के रूप में पेश किया गया। हालांकि, आम आदमी पार्टी के स्वास्थ्य और शिक्षा मॉडल से बाहर निकलने और क़ानून व्यवस्था की इस चुनौती का सामना करने का श्रेय भगवंत मान को दिया गया और खूब सराहा गया। लेकिन, सबके सामने एक ही सवाल था कि जब अमृतपाल के एक छोटे से साथी को जेल में नहीं रख पाये, तो क्या हुआ कि सुनियोजित कार्रवाई करके 23 अप्रैल को अमृतपाल को गिरफ़्तार कर लिया गया। मान ने आज के संबोधन में इसका जवाब भी दे दिया। “अजनाला में उसे रोका जा सकता था, लेकिन उसने गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी को अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल किया था। पुलिस किसी भी तरह से उनकी पवित्रता को नुकसान नहीं पहुंचाने को लेकर स्पष्ट थी और दुनिया भर में इस कार्य की सराहना भी की गयी।”
जैसा कि घटनाक्रमों से स्पष्ट है, केंद्र अमृतपाल और उनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर कार्रवाई करने के लिए पंजाब सरकार पर दबाव बना रहा था और अजनाला की घटना ने सही मौक़ा दे दिया। यह एक सुनियोजित कार्रवाई थी, जिसमें गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, ख़ुफ़िया एजेंसियों और पंजाब पुलिस के अधिकारियों की एक बैठक में कथित तौर पर हर एक विवरण पर काम किया जा रहा था। ज़ाहिर तौर पर इस बैठक में सभी गिरफ़्तार लोगों को असम भेजने का फ़ैसला किया गया था, हालांकि सीएम ने ज़ोर देकर कहा कि यह अंतर्राज्यीय पुलिस समझौता है।
आप के पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर कांग ने इस रिपोर्टर को बताया, “मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है और जब इसे सुरक्षित करने की बात आती है, तो राजनीति की कोई भूमिका नहीं होती है। यह आम आदमी पार्टी का अच्छा काम है, जिसने अपने राजनीतिक विरोधियों को भी इसकी प्रशंसा करने के लिए मजबूर कर दिया है, न कि किसी सांठगांठ का यह परिणाम है। ”
इसी साल मार्च में जारी कैग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य पर अभी 2.6 लाख करोड़ का कर्ज़ है, जो दस साल में 5 लाख करोड़ को पार कर जायेगा।
हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ इससे अलग मत रखते हैं और कहते हैं कि यह सब कुछ राजनीति से संबंधित है। नाम न छापने की शर्त पर एक सेवानिवृत्त नौकरशाह ने कहा, “मान के नेतृत्व वाली AAP सरकार को गहरा वित्तीय संकट राज्य को विरासत में मिला है। किसी भी राज्य सरकार के लिए केंद्र के सहयोग के बिना चरमराती अर्थव्यवस्था को बचाना लगभग असंभव है। संकट और बढ़ गया है, क्योंकि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और यहां नशीली दवाओं और क़ानून और व्यवस्था की विशिष्ट स्थिति है।”