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तेलंगाना जनजातीय हस्तशिल्प को बचाने का नायाब तरीक़ा

तेलंगाना का ITDA उत्नूर ने अपने लोगो(Logo) को उपहार पैक के रूप में डोकरा धातु शिल्प सहित आदिवासी हस्तशिल्प को बढ़ावा देने का एक नया तरीक़ा खोज निकाला है।

तेलंगाना का ITDA उत्नूर ने अपने लोगो(Logo) को उपहार पैक के रूप में डोकरा धातु शिल्प सहित आदिवासी हस्तशिल्प को बढ़ावा देने का एक नया तरीक़ा खोज निकाला है।

इंटरनेट और सोशल मीडिया के साथ अब डिस्ट्रीब्यूशन और बिक्री में एक प्रमुख भूमिका निभायी जा रही है। जो लोग इसे अपनाने में असमर्थ हैं, वे ख़ुद को बाज़ार में फ़िसलता हुआ पाते हैं और तेलंगाना के आदिलाबाद के आदिवासियों को भी इस चुनौती का सामना करना पड़ रहा था।

यह अब बड़े बाज़ारों तक पहुंचने के उद्देश्य से एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी, उत्नूर के रूप में सामने आ रहा है और ग्राहकों ने एक अभिनव विपणन रणनीति अपनायी है और अपने लोगो(Logo) के साथ एक विरासत जनजातीय हस्तशिल्प पैकेज लॉन्च किया है।

इस पैकेज में ऐसे सजावटी उत्पाद और खाद्य पदार्थ शामिल हैं, जिन्हें हाथ से बनाया गया है और दोनों के डिज़ाइन देखते ही बनते हैं।येउपयोगी और पौष्टिक हैं। पैकेज में शामिल वस्तुओं में डोकरा मेटलक्राफ़्ट (पीतल की मूर्तियाँ), गोंडी कला चित्र, गिरी शुद्ध शहद (जंगली संसाधित शहद), खाने के लिए बना-बनाया बाजरा, महुआ लड्डू और कई अन्य उत्पाद शामिल हैं।

आदिवासियों द्वारा बनाये गये इन उत्पादों के बारे में लोगों को जागरूक करने और उनका प्रचार करने के लिए इन हस्तशिल्प वस्तुओं को आईटीडीए उत्नूर के लोगो(Logo) के तहत बेचा जायेगा। यह लोगो इन शिल्पों के बारे में दुनिया को फैलाने और खरीदारों के एक बड़े वर्ग तक पहुंचने में मदद करेगा।