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भारत में बनेगा Russia का ये खौफनाक हथियार, पलक झपकते ही दुश्मन ढेर

Russian Ak 203 Rifle In India

Russian Ak 203 Rifle In India: ये रूस और भारत की दोस्ती है जो सदियों से चलती आ रही है और इस दौरान कही लोगों ने दोनों के रिश्ते को तोड़ने की पूरी कोशिश की लेकिन ऐसा हो न सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद रूस के साथ रिश्ता काफी मजबूत हुआ है। पीएम मोदी कि दोस्ती जग जाहिर है। यूक्रेन जंग में रूस के खिलाफ भारत को जाने के लिए अमेरिका से लेकर दुनिया के कई बड़े देशों ने कहा लेकिन, दोनों देशों की दोस्ती को कोई हिला नहीं सका। भारत के रक्षा क्षेत्र में रूस का काफी अहम योगदान है। अब इसमें एक और बड़ा योगदान शामिल होने जा रहा है। जंग के बीच भी रूस अपनी दोस्ती निभा रहा है। भारत में इस साल एके-203 राइफल (Russian Ak 203 Rifle In India) का उत्पादन शुरू हो जाएगा। ये एके-47 का भी बाप है। इतना जान लिजिए कि इसमें से गोलियां बिजली की स्पीड से निकलती हैं। एक-203 आ जाने से भारत के सेनाओं की ताकत और भी ज्यादा बढ़ जाएगी।

यूपी के अमेठी में शुरू होगा उत्पादन

भारत-रूस संयुक्त उपक्रम की ओर से उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में रूसी मूल की कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल का उत्पादन शुरू होगा। रूस की सरकारी रक्षा इकाई रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के महानिदेशक अलेक्सांद्र मिखेव ने इसकी जानकारी दी है। पिछले साल जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आए थे तब भारत और रूस के बीच इस राइफल को लेकर 5100 करोड़ रुपए का रक्षा समझौता हुआ था। एके-203 दुनिया की सबसे घातक और कामयाब राइफल एके-47 का आधुनिक रूप है। एके-203 का वजन सिर्फ 4 किग्रा होता है जिससे एक से दूसरी जगह लेकर जाना आसान होता है। यह बंदूक भारत के ‘रक्षा भविष्य’ के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

इस बंदूक की जगह लेगा AK-203
AK-203 राइफल कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगा लें कि इसमें से गोली बिजली की स्पीड से निकलती है। इसकी मैग्जीन में 30 गोलियां आती हैं जो 400 मीटर के दायरे में अपने लक्ष्य पर निशाना साध दे तो उसका बचना मुश्किल नहीं बल्कि नामुकिन हो जाएगा। AK-203 का नाम पहले एके-103 एम था लेकिन बाद में इसे ये नाम दिया गया। एके-203 वर्तमान में इस्तेमाल की जाने वाली इंसास राइफल की तुलना में काफी हल्की होने के साथ ही छोटी भी है। साथ ही इसमें पिकेटिनी रेल भी लगा हुआ है जिसमें नाइट विजन या दूर निशाना लगाने के लिए स्कोप सेट किया जा सकता है। समझौते के तहत भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों के लिए 6 लाख राइफलें बनाई जाएंगी। भारतीय सेना इस वक्त 1990 से DRDO द्वारा बनाई गई इंसास राइफल इस्तेमाल कर रही है।

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मौसम कैसा भी बिना रूके निशाना बिल्कुल सटीक
वर्तमान जो इंसास इस्तेमाल की जा रही है उसमें 5.56×45mm कैलिबर की गोलियों लगती हैं। AK-203 में 7.62×39mm की गोलियां लगती हैं। ये एक सेकेंड में 10 गोलियां दाग सकती है। इंसास जाम हो जाती है लेकिन, इसमें ऐसा नहीं होगा। इसे ऑटोमेटिक और सेमी सेमी ऑटोमेटिक दोनों तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। दुनिया एके सीरीज पर बहुत भरोसा करती है क्योंकि आज 50 से ज्यादा देश एके-47 का इस्तेमाल कर रहे हैं। एके-47 के बाद देशों की पहली पसंद एके-203 बन रही है जिसका निर्माण न सिर्फ भारत में होने जा रहा है बल्कि 30 से ज्यादा देश इसे बनाने का लाइसेंस ले चुके हैं।

AK-47 एके सीरीज की सबसे सफल राइफल है
– AK-47 की बात करें तो ये एके सीरीज की सबसे सफल राइफल है।
– इसका वजन बोहद हल्का है, फुल लोड होने के बाद भी ये सिर्फ 4 किग्रा की होती है।
– एक मिनट में इससे 600 राउंड़ गोलियां दागी जा सकती हैं।
– एक बार में एके-47 में 30 गोलियां भर सकते हैं

– भारत के अलावा इजरायल, चीन, मिस्र और नाइजीरिया जैसे देशों में एके-47 राइफल बनती हैं।
– सबसे ज्यादा उत्पादन चीन में होता है। हल्की और छोटी होने के बावजूद यह बेहद शक्तिशाली और खतरनाक होती है।
– इससे निकली गोली हल्की दीवारों और धातु की चादरों को भी पार कर सकती है।
– एके-47 से निकलने वाली गोली की रफ्तार 700 मीटर प्रति सेकेंड होती है।
– सिर्फ आठ पुर्जों से बनी इस राइफल को मात्र 1 मिनट में जोड़ा जा सकता है।
– भारत में बनने वाली एके-203 राइफल इसी एके-47 का नया और एडवांस रूप होगा।