नौसनी प्रवीण पर बाबा बागेश्वर की कथा का इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि वो इस्लाम को छोड़ सनातनी हो गई। नौसनी प्रवीण अब रुक्मिणी बन गई है। सनातन धर्म अपनाने के बाद नौसनी ने हिन्दू लड़के के साथ पूरे विधि विधान से शादी कर ली। शादी के बाद रुक्मिणी ने कहा कि बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री उनके लिए प्रेरणाश्रोत हैं। उनकी बातों का उसके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
दरअसल, बिहार की राजधानी पटना के समीप नौबतपुर में कुछ दिन पहले धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा हुई थी। इसी कार्यक्रम से इस मुस्लिम लड़की को प्रेरणा मिली। इस कार्यक्रम के बाद ही नौसनी ने इस्लाम धर्म को त्याग दिया,और सनातन को अपना बना लिया। मुस्लिम लड़की को पूरे हिन्दू रीति रिवाज़ों के साथ सनातन धर्म में घर वापसी कराई गई।
पूरा मामला बिहार के वैशाली जिले के लालगंज का है,जहां सहथा गांव के रहने वाले उमाशंकर कुंवर के बेटे रौशन कुमार को कॉलेज के दौरान मुजफ्फरपुर की रहने वाली नौसनी प्रवीण से प्यार हो गया। दोनों के धर्म अलग-अलग होने के कारण इनका प्यार शादी के बंधन में नहीं बंध पा रहा था। इसी बीच बाबा बागेश्वर के कार्यक्रम के दौरान हुई कथा ने इस लड़की पर ऐसा असर किया कि वो अपने धर्म को छोड़कर सनातनी बनने का फैसला ले लिया।
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा से प्रभावित मुस्लिम लड़की ने अपने फैसले को अपने प्रेमी के पास रखा। फिर दोनों लालगंज के आचार्य कमलाकांत पाण्डेय और पंडित संजय तिवारी से मिलकर धर्मांतरण के विधि विधान को जाना। पंडित द्वारा बताए गए विधानों के मुताबिक रविवार की सुबह नारायणी नदी के तट पर पंडितों की मौजूदगी में लड़की का धर्मांतरण यानी घर वापसी कराई गई। इस दौरान पंडितों ने मुस्लिम लड़की को नदी में स्नान, गाय के दूध, दही, घी, गोबर के साथ- साथ सर्व औषधि, भष्म आदि से भी स्नान कराते हुए मंत्रोच्चारण के साथ सनातन धर्म में प्रवेश कराया। सनातन धर्म में आते ही गिजास गांव की नौसनी प्रवीण नारायणी नदी को साक्षी मानकर रुक्मणि बन गयी।
सनातन को अपनाने के बाद दोनों प्रेमी युगल लालगंज रेपुरा स्थित अर्धनारीश्वर शिव मंदिर पहुंचे। जहां दूल्हे का पूरा परिवार मौजूद था। पंडितों ने परिवार वालों की मौज़ूदगी में सभी वैवाहिक रस्म को पूरा किया । लड़के के परिवार वालों ने गहना चढ़ाया. हल्दी और घृतधारी की भी रस्म पूरी की गई। हल्दी और मंगल गीत के साथ आचार्य ने शादी के सात वचनों से दूल्हा दुल्हन को अवगत कराया। फिर भगवान भोलेनाथ की परिक्रमा कर सात जन्मों के लिए दोनों एक दुसरे के हो गए।
वहीं, वर वधु को आशीर्वाद देने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। साथ ही सनातन संस्कृति को मानने वाले लोगों ने एक सुर में कहा कि सनातन धर्म में आने वाले हर किसी का स्वागत है। बागेश्वर धाम के बाबा धीरेन्द्र शास्त्री बिहार के पांच दिवसीय कार्यक्रम करके तो लौट गए लेकिन हिन्दू राष्ट्र बनाने को उन्होंने जो संदेश दिया उसका असर साफ-साफ दिख रहा है।