नेपाल और चीन के बीच BRI को लेकर चल रहे विवाद कुछ शांत पड़ने लगा है। नेपाल के डिप्टी पीएम नारायण काजी श्रेष्ठ चीन से वापस लौटते ही विवादित प्रॉजेक्ट BRI की तारीफ करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि बीआरआई प्रॉजेक्ट से नेपाल को काफी फायदा पहुंचने वाला है।
नेपाल के डिप्टी पीएम नारायण काजी श्रेष्ठ चीन की 5 दिन की यात्रा के बाद राजधानी काठमांडू लौट आए हैं। काठमांडू लौटते ही नारायण काजी श्रेष्ठ ड्रैगन का गुणगान करने लगे,और बीआरआई के फायदे गिना रहे हैं। उन्होंने नेपाल लौटते ही कहा कि चीन की सरकार बेल्ट एंड रोड परियोजना को क्रियान्वित करने की इच्छुक है। साथ ही नेपाल को चीन के इस BRI प्रॉजेक्ट से काफी फायदा होगा। नेपाल के डिप्टी पीएम का यह बयान ऐसे समय आया है जब नेपाल सरकार और चीनी दूतावास के बीच BRI को लेकर जुबानी जंग चल रही है।
नेपाल के प्रधानमंत्री मई के अंतिम सप्ताह में भारत के दौरे पर आए थे, और अब वो चीन के दौरे पर जाने वाले हैं। इस बीच नेपाल सरकार और चीनी दूतावास के बीच BRI का मुद्दा गरम होता जा रहा है। इधर,चीन का दावा है कि नेपाल स्थित पोखरा एयरपोर्ट बीआरआई के तहत बनाया गया है जबकि नेपाल के विदेश मंत्री ने संसद के अंदर विपक्षी दलों के द्वारा पूछे गए सवाल के बाद इसका खंडन किया है। विदेश मंत्री ने संसद के अंदर साफ तौर ऐलान किया है कि नेपाल में फिलहाल एक भी योजना बीआरआई के तहत नहीं चल रही है। इस तरह से नेपाल के विदेश मंत्री ने चीन के दावे को खारिज करते हुए ड्रैगन की पोल खोल दी है।जिसके बाद से ही चीन बौखलाया हुआ है।
चीन का दावा है कि नेपाल के पोखरा एयरपोर्ट को उसी ने बनाया है, लेकिन अभी तक इस एयरपोर्ट से एक भी व्यवसायिक उड़ान न तो यहां से भरी गई है,और न ही यहां लैंडिंग हुई है। भारत के विरोध के बाद भी नेपाल ने पोखरा एयरपोर्ट को बनाने का काम चीन को दिया था। भारत इसी वजह से यहां अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए रूट नहीं दे रहा है। पोखरा एयरपोर्ट भारतीय सीमा के बिलकुल पास है,लिहाजा सुरक्षा कारणों से भारत ने चीन का विरोध किया था।
वहीं, नेपाल के डिप्टी पीएम ने चीन से विनती की है कि वह अपने व्यापारिक केन्द्र चेंगदू से पोखरा औऱ भैरवा एयरपोर्ट के लिए नई उड़ान शुरु करे। इन दोनों एयरपोर्ट को नेपाल ने चीन की मदद से बनवाया है।
चीन का BRI प्रॉजेक्ट दुनियाभर में विवादों से घिरा हुआ है। वहीं, बीआरआई के कर्ज में फंसा श्रीलंका भी डिफॉल्टर साबित हो चुका है। वहीं, पाकिस्तान भयंकर आर्थिक मंदी से गुजर रहा है। चीन अब नेपाल को फांसने में लगा हुआ है,और नेपाल पर दवाब बना रहा है कि BRI प्रॉजेक्ट को आगे बढाए। वहीं, प्रचंड सरकार श्रीलंका औऱ पाकिस्तान का हश्र देखते हुए फूंक-फूंककर कदम रख रहा है। इसी वजह से चीन नेपाल पर भड़का हुआ है।