भारत का सर्वोच्च न्यायालय गर्मी की छुट्टियों के बाद पहली बार तीन आईटी-सक्षम अदालत कक्षों के साथ आज फिर से खुल गया।न्याय को सुनिश्चित करने के लिए अब पेपरलेस होने की तरफ़ क़दम बढ़ाये जा चुके हैं।
न्यायाधीशों के लिए पॉप-अप स्क्रीन अब दस्तावेज़ों की फ़िज़िकल कॉपियों की जगह ले लेगी, और एक डिजिटल लाइब्रेरी क़ानून की पुस्तकों की जगह ले लेगी। ये बदलाव भारत के मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों की अदालतों में दिखायी देंगे। हालांकि, धीरे-धीरे अन्य कोर्ट रूम भी डिजिटल होते जायेंगे।
पहले तीन अदालत कक्षों में डिजिटल बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण 2023 में सुप्रीम कोर्ट की तीसरी डिजिटलीकरण परियोजना का हिस्सा है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने इस साल फ़रवरी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट में ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के लिए केंद्र सरकार के 7,000 करोड़ रुपये के आवंटन की सराहना की थी।
पहली ई-एससीआर वह परियोजना है, जिसने सुप्रीम कोर्ट के दशकों के फ़ैसलों को मुफ़्त ऑनलाइन प्रस्तुत कर दिया है।
दूसरी शुरुआत उस परियोजना से है, जो संविधान पीठ की सुनवाई में दी गयी दलीलों के लाइव ट्रांसक्रिप्शन के लिए की गयी है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने केस दाखिल करने की व्यवस्था को भी आधुनिक बनाया है। अदालत ने COVID-19 महामारी के दौरान मामलों की इलेक्ट्रॉनिक फ़ाइलिंग की शुरुआत कर दी थी।
ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण का लक्ष्य एक ऐसी न्यायिक प्रणाली बनाना है, जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अधिक किफ़ायती, सुलभ, लागत प्रभावी और पारदर्शी हो।
ई-कोर्ट चरण III की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में डिजिटल और पेपरलेस कोर्ट जैसी विभिन्न नयी सुविधाओं का उल्लेख किया गया है, जिसका उद्देश्य अदालती कार्यवाही को डिजिटल प्रारूप में लाना है। इसमें लंबित मामलों के विश्लेषण, भविष्य की मुकदमेबाज़ी की भविष्यवाणी आदि के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और इसके सबसेट जैसे ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (ओसीआर) आदि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का भी उल्लेख किया गया है।