इस समय पाकिस्तान (Pakistan) की आर्थिक हालत बेहद खराब है। लोगों के पास दो वक्त की रोटी खाने के लिए आटा तक नहीं है और आटा खरीदने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं लेकिन तब भी कई लोगों को यह नहीं मिल पा रहा है। सब्जियों से लेकर तमाम खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं और कमरतोड़ महंगाई ने पाकिस्तान की जनता को परेशान कर रखा है। वहीं अब तक पाकिस्तान IMF के भरोसे बैठा हुआ था अब हाल ही में आईएमएफ ने अपनी स्टाफ रिपोर्ट में पाकिस्तान को जमकर खरी-खरी सुनाई है। आईएमएफ ने दो टूक लहजे में कहा है कि अगर पाकिस्तान बेलआउट प्रोग्राम के लक्ष्यों को हासिल नहीं करता है तो वह अपने कर्ज का पुनर्गठन करने वाला अगला देश बन सकता है। कर्ज का पुनर्गठन करने का साधारण अर्थ यह है कि उसे अपने पुराने कर्जदाताओं से बात कर कर्ज चुकाने को लेकर नई समयसीमा मांगनी होगी। कई मामलों में तो पाकिस्तान को कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज तक लेना पड़ सकता है। यह स्थिति दिवालिया होने से एक स्टेप ऊपर की मानी जाती है। पाकिस्तान ने कई महीनों की देरी के बाद आखिरकार पिछले हफ्ते आईएमएफ से 3 अरब डॉलर का कर्ज हासिल किया है। इससे पाकिस्तान को डिफॉल्ट या दिवालिया होने से बचने में मदद मिलेगी।
पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज 100 अरब डॉलर
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 18 जुलाई को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज बढ़कर 100 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। इस दक्षिण एशियाई राष्ट्र को यह सुनिश्चित करने के लिए आईएमएफ प्रोग्राम के लक्ष्यों पर टिके रहने की जरूरत है कि कर्ज टिकाऊ हों क्योंकि पाकिस्तान के लिए दिवालिया होने का जोखिम अधिक है।
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सरकार और केंद्रीय बैंक एकजुट नहीं
पाकिस्तान सरकार और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने पिछले वर्ष में दो बार डिटेल दिए बिना द्विपक्षीय ऋण के पुनर्गठन के बारे में बात की है, लेकिन आम सहमति की कमी के कारण इस पर अमल नहीं हो सका। नए उदाहरण में वित्त मंत्री इशाक डार ने पिछले महीने एक घोषणा की थी लेकिन पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने इस बात से इनकार किया कि इस तरह के कदम की आवश्यकता थी या किसी भी बातचीत की योजना बनाई गई थी।
पाकिस्तान के उपाय अभी के लिए नाकाफी
पाकिस्तान ने आईएमएफ की मांगों को पूरा करने के लिए टैक्स रेवेन्यू और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि की है लेकिन वह सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमों के निजीकरण जैसे दीर्घकालिक मुद्दों पर प्रगति नहीं कर पाया है। आईएमएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक को अपना सख्त चक्र जारी रखने की आवश्यकता होगी, क्योंकि आने वाले वर्ष में मुद्रास्फीति का दबाव बने रहने की उम्मीद है।