Sheetal Devi:जीवन में कुछ कर गुजरने का जुनून हो,और सही दिशा में लक्ष्य रखकर साधा हुआ निशाना हो तो किसी भी कठिन काम को इंसान आसानी से पार कर लेता है। सही मार्गदर्शन और जुनून से इंसान हर चुनौती को मात दे सकता है। चुनौती चाहे जैसी भी हो, इंसान की जिद के सामने उसे झुकना ही पड़ता है।
16 साल की शीतल (Sheetal Devi) जो दिलाती है महाभारत के ‘अर्जुन’ की याद। शीतल देवी 16 साल की हैं,दोनों हाथ नहीं हैं,लेकिन पैरों से तीर-धनुष चलाती हैं औऱ निशाना ऐसा जो खाली न जाए। अचूक निशाने की महारथी जिसे देख आप दंग हो जाएंगे। औऱ कहेंगे वाह क्या बात है।
द्रोणाचार्य जैसा कोच
शीतल देवी(Sheetal Devi) वर्ल्ड पैरा आर्चरी चैंपियनशिप के महिला वर्ग के कंपाउंड इवेंट के फाइनल में पहुंच गई हैं। 16 साल की शीतल गुरु भी द्रोणाचार्य से कम नहीं हैं। उन्होंने अपनी शिष्या को ऐसा प्रशिक्षण दिया मानों धनुष वाण में सभी विद्याओं से परिपूर्ण कर दिया। कोच कुलदीप कुमार ने ऐसी तीरंदाजी सिखाई कि शीतल देवी आर्चरी में ख्यातिलब्ध दक्षता प्राप्त कर ली। शीतल ने इस सप्ताह विश्व तीरंदाजी पैरा चैंपियनशिप में डेब्यू किया लेकिन यह उनका पहला अंतरराष्ट्रीय इवेंट नहीं है।
सही चीज के लिए जिद पालना जरूरी है ,लिहाजा जिद और जुनून वो दरिया होता है, जिस तरफ भी चल पड़ता है रास्ता बन जाता है। ऐसा ही कुछ कर रही हैं भारतीय महिला तीरंदाज शीतल देवी। शीतल दुनिया की एकमात्र बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज हैं। शीतल देवी वर्ल्ड पैरा आर्चरी चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंच गई हैं।
16 वर्षीय एथलीट ने इस टूर्नामेंट के महिला वर्ग के कंपाउंड इवेंट के फाइनल में जगह बनाई है। चेक रिपब्लिक के पिल्सेन में हो रही इस चैंपियनशिप में शीतल देवी ने सेमीफाइनल में अपनी हम वतन सरिता को हराकर फाइनल में जगह पक्की की। उन्होंने 137-133 के स्कोर से जीत हासिल की।
कोच कुलदीप कुमार ने की मदद
वर्ल्ड आर्चरी से बात करते हुए शीतल देवी ने कहा कि उन्होंने मैंने कभी नहीं सोचा था कि तीरंदाजी कर सकती हैं लेकिन कोच कुलदीप कुमार के एक फोन कॉल से सब कुछ बदल दिया।
कोच ने कहा, ‘मैंने उससे अकादमी में आने और अन्य लोगों को शूटिंग करते देखने के लिए कहा। वह तेजी से आगे बढ़ीं। मैं उसे राष्ट्रीय चैंपियनशिप में ले गया। वह उत्साहित थी और उसने विकलांगताओं वाले कई पैरा तीरंदाजों को देखा। उसे जल्द ही खेल में दिलचस्पी हो गई।’
कौन हैं शीतल देवी?
शीतल देवी हिनदुस्तान का मुकुट कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर के लोही धार गांव से है। वह जम्मू की माता वैष्णोदेवी तीरंदाजी अकादमी की ट्रेनिंग लेती हैं। शीतल के जन्म से ही हाथ नहीं हैं। लेकिन कभी उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी विक्लांगता के कारण शीतल देवी खुद को कमजोर नहीं समझा। उसने केवल 11 महीने पहले शूटिंग शुरू की थी, लेकिन इसने कम समय में वह उस स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं।
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