रूस (Russia) भारत का याराना बेमिसाल है। रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने हमेशा अपने दोस्त देश रूस का साथ दिया है। अभी हाल ही में चंद्रयान 3 की सफलता पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी को फ़ोन कर के बधाई दी थी। यही नहीं अब रूस भारत के साथ अंतरिक्ष कार्यक्रम को बढ़ाने की मंशा रखता है। इस बीच रूस के भारत में राजदूत डेनिस अलीपोव ने भारत की जमकर तारीफ करते हुए अमेरिका पर बड़ा हमला बोला है। रूसी राजदूत ने कहा कि अमेरिका खुलेआम कहता है कि वह भारत और रूस के बीच रिश्तों को बर्बाद करना चाहता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी चीज है जिसे हम स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
रूसी (Russia) राजदूत ने वियॉन टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका की इस कोशिश को हम आगे नहीं बढ़ने देंगे। मैं फिर से कहना चाहूंगा कि हमारा भारत के साथ रिश्ता अच्छाई और सकारात्मकता के लिए है। रूसी राजदूत ने भारत को खुलकर मदद देने का ऐलान किया और जी-20 की अध्यक्षता की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि रूस जी20 में भारत के प्राथमिकताओं को अपना पूरा समर्थन देता है। उन्होंने कहा कि जी-20 एक अफ्रीकी देश को शामिल करने की पहल को रूस अपना पूरा साथ देगा।
यूक्रेन पर भारत के रुख की जमकर तारीफ
जी-20 में यूक्रेन के मुद्दे को शामिल करने विवाद की वजह से संयुक्त बयान जारी करने में बाधाएं आ रही हैं। इसमें एक तरफ जी7 देश हैं और दूसरी तरफ रूस तथा चीन एक साथ खड़े हैं। इस गतिरोध पर रूसी राजदूत ने कहा कि वर्तमान समय में ऐसा लगता है कि बातचीत ठहर सी गई है। भारत और अमेरिका के रिश्ते पर रूसी राजदूत ने अमेरिका के रुख पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के साथ रिश्तों को बर्बाद करना चाहता है जिसे हम स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
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राजदूत अलीपोव ने कहा कि यूक्रेन विवाद में भारत के शांति प्रयासों की रूस सराहना करता है। उन्होंने कहा कि रूस और भारत दोनों मिलकर भारत के यूपीआई सिस्टम को रूस (Russia) में भी शुरू करने की संभावनाओं पर बात कर रहे हैं। यह ठीक उसी तरह से होगा जिस तरह से भारत और यूएई के बीच हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे सिस्टम में रुपे का इस्तेमाल शुरू होता है तो यह स्वागतयोग्य कदम होगा। रूसी राजदूत ने कहा कि जी-20 को आर्थिक और वित्तीय मामलों पर फोकस करना चाहिए, उसे भूराजनीतिक मामलों को नहीं उठाना चाहिए। भूराजनीतिक मुद्दों के लिए हमारे पास पहले से ही संयुक्त राष्ट्र मौजूद है। संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन युद्ध का मुद्दा पहले ही चल रहा है।