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G20 सम्‍मेलन PM Modi की बड़ी जीत! दुनिया में क्यों बढ़ेगा भारत का दबदबा, विशेषज्ञों से समझे

जी20 सम्‍मेलन पीएम मोदी की बड़ी जीत

G20 Summit: भारत में जी20 सम्‍मेलन खत्‍म हो गया और अब इसके बारे में हर जगह खूब चर्चा हो रही है। भारत में जहां एक और विरोधी इस सम्‍मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं तो वहीं पश्चिमी देशों के जानकार भी इसे एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर करार दे रहे हैं। पीएम मोदी (PM Modi) ने न केवल 20 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लेकर आए बल्कि उन्‍होंने वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए इसे एक अच्छी स्थिति करार दिया। मगर यूक्रेन में जारी युद्ध पर समूह के नेताओं में मतभेद थे और घोषणा पत्र के साथ ही ये मतभेद भी खत्‍म हो गए। इस शिखर सम्मेलन के आयोजन से पहले कई लोग इसे लेकर काफी आशंकित थे।

कई संदेह दूर हुए

पीएम मोदी सम्‍मेलन के पहले दिन सर्वसम्मति से अंतिम समझौते की घोषणा करके उन संदेहों को दूर करने में सफल हो गए हैं जो यूरोप में जारी युद्ध की भाषा से जुड़े थे। इस घोषणा पत्र पर रूस और चीन दोनों ने साइन किए थे। ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने कहा कि समूह एक ‘बहुत मजबूत’ संदेश देने पर सहमत हुआ है। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्‍ज ने इसे ‘भारतीय कूटनीति की सफलता’ और कहा, ‘कई लोगों ने पहले नहीं सोचा था कि यह संभव होगा। इस बार के जी20 घोषणा पत्र में पिछले साल की तुलना में नरम शब्द थे। यह सीधे तौर पर रूस की निंदा न करने में सफल रहा। सभी देश घोषणा पर सहमत हुए, जिससे भारत को कूटनीतिक सफलता का दावा करने का मौका मिला। कुछ विशेषज्ञों ने समझौते को रूस की जीत के रूप में देखा, जबकि अन्य ने इसे पश्चिम के लिए एक उपलब्धि बताया। लेकिन अधिकांश इस बात पर सहमत हैं कि यह मोदी के लिए विदेश नीति की जीत है क्योंकि वह विश्व मंच पर भारत के प्रभाव को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

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ग्‍लोबल साउथ की आवाज भारत

रैंड कॉरपोरेशन में इंडो-पैसिफिक की नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने वाले विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने कहते हैं, ‘भारत का बयान उभरते ग्लोबल साउथ की आवाज का प्रतीक है। यह नई दिल्ली के लिए बड़ा बदलाव है खासकर चीन के खिलाफ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में, जिससे उसे इस गुट का नेता बनने में मदद मिल रही है।’ शिखर सम्मेलन में मोदी ने यह भी घोषणा की कि समूह ने अफ्रीकी संघ को एक स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने पर सहमति व्यक्त की है। साथ ही वैश्विक दक्षिण के विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण अन्य प्रमुख मुद्दों पर प्रगति की है।

G7 से बाहर निकलता G20

विल्सन सेंटर के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने सात प्रमुख औद्योगिक देशों के समूह का जिक्र किया। उन्‍होंने कहा, ‘हम जी20 को आखिरकार एक वास्तविक वैश्विक इकाई के रूप में और जी7 की छाया से उभरते हुए देख रहे हैं।’ यह पश्चिमी और गैर-पश्चिमी शक्तियों और ग्लोबल साउथ के साझा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने के एक सफल केस स्टडी के रूप में उभर रहा है। रूस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के नेता शी जिनपिंग इस साल जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। अटलांटिक काउंसिल में सीनियर फेला माइकल शुमन ने कहा, चीन ग्‍लोबल साउथ को चीन-केंद्रित ब्लॉक की तरह बनाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में जी20 की बैठकों से शी की अनुपस्थिति का मतलब है कि मोदी और बाकी लोग ‘अपने विचारों और लक्ष्यों को बढ़ावा देने’ में सफल रहे हैं।