Hindi News

indianarrative

नाटक ‘परवाज का आगाज’ में दिखा कलाम के अखबार बेचने से लेकर मिसाइल मैन तक का सफर

A. P. J. Abdul Kalam

A. P. J. Abdul Kalam: जिंदगी संघर्ष से भरी हुई होती है, तरक्की की ऊंचाई तक पहुंचने के लिए न जाने कितनी रातों तक नींदों को त्यागना होता है तो न जाने कितनी रातें भूखे पेट सोना पड़ता है। सपनों की जिद इंसान को हर मेहनत करने पर मजबूर कर देती है। फिर चाहे भले रात को जगना हो या फिर क्यों न आधे पेट गुजारा करना हो। या फिर सपनों के पीछे भागने के लिए न दिन का पता हो और न रात की परवाह हो। कुछ ऐसी कहानी है हमारे भूतपूर्व और अभूतपूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम (A. P. J. Abdul Kalam) की, जिनके जैसा न कोई था और न कोई होगा। ए.पी.जे अब्दुल कलाम (A. P. J. Abdul Kalam) की कहानी गुलजार साहब से जानेंगे।

यह भी पढ़ें- क्या आपको मालूम है पद्मनाभ मंदिर के 7वें दरवाजे पर आखिर कितना खजाना?

सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम खचाखच दर्शकों से भरा था। ये दर्शक गुलजार साहब को देखन के लिए काफी समय से इंतजार कर रहे थे। “मैं एक गहरा कुआं हूं उस जमीन पर, बेशुमार लड़के-लड़कियों के लिए,जो उनकी प्यास बुझाता रहूं. उसकी बेपनाह रहमत उसी तरह जर्रे-जर्रे पर बरसती है, जैसे कुआं सबकी प्यास बुझाता है. इतनी सी है कहानी…मेरी”। गुलज़ार साहब की भारी लेकिन पुरकशिश आवाज में दिल्ली वालों ने कहानी उस लड़के की सुनी जो अखबार बेचकर भाई की मदद करता था। कहानी थी, अबुल पकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम की। जनता के राष्ट्रपति की, देश के भूतपूर्व और अभूतपूर्व राष्ट्रपति की। कहानी मिसाइल मैन की।

हिंदी के अखबार दैनिक भास्कर और द संस्कार वैली स्कूल के बच्चों ने करीबन एक घंटे के इस नाटक, परवाज का आगाज में अपनी प्रस्तुति को अविस्मरणीय बना दिया। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन पर आधारित ‘परवाज का आगाज’ काशो शुक्रवार को नई दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में हुआ। असल में, दर्शकों नाटक देखने इसलिए भी जुटे क्योंकि इसे गुलजार ने लिखा। इस लिए भी जुटे क्योंकि इसका नैरेशन खुद गुलजार कर रहे थे। लेकिन जैसा उद्घोषक ने बताया, सभागार आते ही गुलजार साहब की तबीयत थोड़ी नासाज हो गई और दर्शकों को लंबा इंतजार करना पड़ा, लेकिन इस दौरान कोई एक इंच हिला भी नहीं।

कार्यक्रम की शुरुआत में इस नाटक के प्रोडक्शन के बारे में द संस्कार वैली स्कूल की निदेशक ज्योति अग्रवाल ने कहा, “इस नाटक की संकल्पना 2019 में की गई थी। इस नाटक को स्कूल के स्थापना दिवस के मौके पर पहली बार पेश किया गया था। लेकिन इसको अपनाने के समय कई तरह की शंकाएं थीं क्योंकि इसमें न तो संवाद हैं न कोई सीन है। यह एक एकालाप (मोनोलॉग) है, जिसका नैरेशन गुलजार साहब ने किया है। सवाल था कि इसे कैसे किया जाएगा।”

पर पहले फिल्मकार राजकुमार हीरानी और फिर खुद गुलजार साहब ने इसकी प्रस्तुतियां देखीं और इसकी सराहना की। बहरहाल, कार्यक्रम की शुरुआत में मशहूर गायक मोहित चौहान ने एपीजे अब्दुल कलाम के लिखे एक गीत विजन को गाकर माहौल तैयार कर दिया और फिर जब परवाज का आगाज का मंचन हुआ तो शो के दौरान कई बार तालियां बजीं। शो के खत्म होते ही खचाखच भरे ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कलाम साहब के बचपन से लेकर मिसाइल मैन बनने के सफर और जिंदगी के अलग-अलग पन्नों को चार छात्रों ने पेश किया। इस नाटक में एक कलाम खुद की कहानी सुनाते हैं। वहीं बाकी कलाम भी बचपन का वक्त, स्कूल के दिन, एमआईटी कॉलेज की पढ़ाई और साइंटिस्ट बनने को दिखाते हैं।

द संस्कार वैली स्कूल के छात्रों ने रंगमंच पर अपने समन्वय और शारीरिक हाव-भाव के जरिए कलाम की जिंदगी को ऐसे मंच पर उतारा, कि लगा हम सामने सजीव कलाम को देख रहे हैं। शो की खास बात यह रही की परफॉर्म कर रहे स्टूडेंट्स कभी नेता बन जाते, कभी प्लेन, कभी बोट तो कभी शिवलिंग तो कभी ट्रेन।

यह भी पढ़ें- Bait-ul-Meeras एक इमारत में कश्मीर का इतिहास, देखोगे तो देखते रह जाओगे

इस म्यूजिकल डांस ड्रामा में छात्रों ने लिरिकल कंटेम्परेरी स्टाइल, कथक, भरतनाट्यम, महाराष्ट्र के लोकसंगीत और सूफी शैलियों को पेश किया। इस शो में कुछ ऐसे संवाद रहे जो दिल को करीब से छूकर गए। मसलन, “अग्नि एक लौ है जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जल रही है. इसे मिसाइल मत समझो यह कौम के माथे पर चमकता हुआ आग का सुनहरा तिलक है।” इसके साथ ही, “खुदा ने ये वादा नहीं किया कि आसमान हमेशा नीला ही रहेगा! जिन्दगी भर फूलों से भरी ही राहें मिलेंगी। खुदा ने ये वादा नहीं किया कि सूरज है तो बादल नहीं होंगे, खुशी है तो गम नहीं, सुकून है तो दर्द नहीं होगा।”